भोपाल। जिस मप्र में हबीबगंज स्टेशन का नाम महज साढ़े सात घंटे में बदल जाता है, वहां एक शहीद के नाम पर सड़क का नाम करने में सरकार एकदम हीला-हवाली कर रही है. हम बात कर रहे हैं, हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की. इनके नाम पर एक सड़क नामकरण होना था. सीएम ने सहमति भी दे दी थी, लेकिन जिस सड़क को शहीद वरुण सिंह के पिता ने चुना, उसका नाम न रखने देने के लिए अब कोई नेता जी आड़े आ रहे हैं.इस काम के लिए एक सैनिक परिवार को चक्कर लगवाए जा रहें हैं. इस संबंध में ईटीवी भारत ने शहीद वरुण सिंह के पिता कर्नल केपी सिंह से बातचीत की.
CDS बिपिन रावत के साथ शहीद हुए थे वरुण सिंहः सीडीएस जनरल बिपिन रावत के साथ ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह एक हेलीकॉप्टर हादसे में 8 दिसंबर 2021 को शहीद हो गए थे. यह हादसा तमिलनाडु के कुन्नुर में हुआ था. जब भोपाल में शहीद वरुण सिंह के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी गई तो उस वक्त मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चार बड़ी घोषणाएं की थीं. पहली कि शहीद के परिजनों को सम्मान निधि दी जाएगी, जो दे दी गई है. दूसरी शहीद की पत्नी को सरकारी नौकरी दी जाएगी. इस पर शहीद के परिजनों ने सहमति नहीं दी. तीसरी यह कि किसी एक इंस्टीट्यूट का नाम शहीद वरुण सिंह के नाम पर किया जाएगा, यह भी हो गया.
सड़क का नाम वरुण रखने पर फंसा पेंचः इसके बाद चौथी घोषणा में पेंच फंस गया है. यह घोषणा थी कि शहीद की एक प्रतिमा लाल घाटी के आसपास लगाई जाएगी. बाद में परिजनों ने इसके लिए इंकार कर दिया, क्योंकि उन्हें डर था कि विकास कार्यों के कारण मूर्ति को भी न कभी शिफ्ट किया जा सकता है. इसके बाद 6 मार्च 2022 को जब सीएम शिवराज सिंह सम्मान निधि का चेक लेकर शहीद वरुण सिंह के पिता कर्नल केपी सिंह के घर गए तो उन्होंनें इस घोषणा को बदलने का आग्रह किया था. केपी सिंह ने कहा कि बेटे के नाम से लाल घाटी से सुल्तानिया इंफ्रेंट्री तक जाने वाली सड़क का नाम शहीद वरुण सिंह के नाम पर कर दिया जाए. इस बात पर सीएम ने सहमति दे दी थी. लेकिन अब एक साल होने को आया है, नाम की घोषणा में पेंच पर पेंच फंसते जा रहे हैं.