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तारों में दौड़ती मौत! बिजली लाइन से लोगों को हाई 'टेंशन'

भोपाल के कई ऐसे इलाके हैं, जहां से हाईटेंशन लाइन घरों के ऊपर से गुजरते हुए निकलती हैं और इन लाइनों से हमेशा इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को जान का खतरा बना रहता है. मुख्य अभिंयता

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Published : Apr 28, 2021, 5:53 PM IST

भोपाल। आम जनता के लिए मूलभूत सुविधाओं में शामिल बिजली जितनी महत्वपूर्ण होती है, कई बार उतनी ही खतरनाक भी. हम बात कर रहे हैं बिजली सप्लाई के लिए लगाई जाने वाली हाईटेंशन लाइन की. जब यह हाईटेंशन लाइन रहवासी इलाकों से गुजरती हैं तो दुर्घटना का डर हमेशा बना रहता है. राजधानी भोपाल में भी कई ऐसे इलाके हैं, जहां से हाईटेंशन लाइन घरों के ऊपर से गुजरते हुए निकलती हैं और इन लाइनों से हमेशा क्षेत्र में रहने वाले लोगों को दहशत बनी रहती है.

तारों में दौड़ती मौत

'टीएनसीपी' से पास होने के बाद निगम देता है निर्माण की अनुमति

भोपाल शहर लगातार विकास की रफ्तार पकड़ता जा रहा है. ऐसे में शहर में निर्माण कार्य भी जमकर हो रहे हैं और जो जगह पहले विरान हुआ करती थी, आज वहां पर हजारों की संख्या में लोग रहते हैं, जहां से पहले हाईटेंशन लाइन गुजरी थी. ऐसे में अब कभी ना कहीं यह बिजली के करंट वाले तार, हमेशा इस क्षेत्र में खतरे की घंटी की तरह इनके सर पर बने रहते हैं.

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शहर के कई इलाके, हाई टेंशन लाइन के पास

भोपाल में हाईटेंशन लाइन की समस्या ज्यादातर उन इलाकों में है, जो पिछले 15 - 20 साल में विकसित हुए हैं. ऐसे में अयोध्या बायपास, बावड़िया कला, गांधी नगर क्षेत्र और मीनाल इलाके में, यह हाईटेंशन लाइन ज्यादातर घरों की छत और सड़कों के ऊपर से गुजरी हैं. बिजली विभाग के नियम के मुताबिक, इलेक्ट्रिक लाइन लगाने के लिए अलग-अलग नियम है, जिनमें से ग्राउंड क्लीयरेंस को लेकर कॉलोनी हो या नेशनल हाईवे सबके लिए अलग-अलग नियम है. नगर निगम भोपाल के पीआरओ प्रेम शंकर शुक्ला ने कहा कि जब किसी कॉलोनी का लेआउट या स्वरुप तय होता है तो वह टाउन पॉवर कंट्री प्लानिक के तहत होता है.

तारों में दौड़ती मौत

किलोवाट ग्राउंड क्लेरेंस नेशनल हाइवे के ऊपर से

66 kv 6.1 मीटर 8.0 मीटर
132 kv 6.1 मीटर 8.6 मीटर
220 kv 7.0 मीटर 8.6 मीटर
400 kv 8.8 मीटर 9.8 मीटर

रहवासी क्षेत्रों में बिजली विभाग के नियम

हालाकि रहवासी क्षेत्रों में बिजली के खंभों और तारों को लेकर अलग नियम है. बिजली विभाग के अनुसार इलेक्ट्रिक टाइम लगाने के लिए रहवासी क्षेत्रों में 11 केवी से 33 केवी तक की लाइनों को घरों से 2.5 मीटर की दूरी पर रखा जाता है, तो वही 33kv से ज्यादा की लाइनों को घरों से 3.7 मीटर की दूरी पर रखा जाता है.

घर बनाने के दौरान नहीं होता नियमों का पालन

फोन पर हुई चर्चा में बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारी विकेश परिहार ने बताया कि जब इन बिजली के तारों को लगाया जाता है, तो सभी नियमों का पूरा ध्यान रखा जाता है, लेकिन कई बार बिजली के तार लगने के बाद उस क्षेत्र में कॉलोनी विकसित हो जाती हैं, ऐसे में कई बार घर बनाने के लिए कॉलोनाइजर या भूस्वामी जो खुद अपना घर बनाता है, वह है इन नियमों का ध्यान नहीं रखता है और कई बार घर बनने के बाद एहसास होता है कि बिजली के तार घर के बहुत पास है.

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भोपाल विद्युत मंडल के मुख्य अभियंता विकेश परिहार का कहना है अभी इन तारों के चलते ऐसे कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई है, लेकिन यदि कोई बिजली के तारों की शिफ्टिंग को लेकर कोई आवेदन या शिकायत करता है तो जरूर विभाग उसकी मांग पर विचार करेगा और यदि वह किसी डेंजर की स्थिति में है तो उस स्थान से बिजली के तारों को शिफ्ट किया जाएगा. हालांकि बिजली के खंभों पर लगे तारों से इंसानों का जीवन जितना आसान हुआ है, कई बार यह आरामदेह जीवन ही उसे खतरे में डाल देता है और कई बार हाईटेंशन लाइनों में हुए स्पार्किंग से आग और आसपास के क्षेत्र में करंट फैलने का डर बना रहता है.

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