भोपाल। कोविड महामारी में भी माफिया और बदमाश आपदा में भी अवसर तलाश रहे हैं. कुछ लोग कोरोना मरीजों के लिए जीवन रक्षक दवाई रेमडेसिविर की कालाबाजारी के साथ, नकली रेमडेसिविर भी बाजार में उपलब्ध करा रहे हैं. यह सिलसिला पिछले एक महीने से चल रहा है. सरकार प्रयास करके रेमडेसिविर की आपूर्ति सामान्य करने का प्रयास कर रही है. फिर भी लोगों को रेमडेसिविर के लिये इधर-उधर भटकते पड़ रहा है. पुलिस भी इस मामले में सतत प्रयास कर रही है ताकि नकली रेमडेसिविर की बिक्री में लिप्त आरोपियों को पकड़ा जा सके.
सीएम के सख्त निर्देश
हालांकि प्रशासन इस तरह के लोगों पर रासुका के तहत कार्रवाई कर रही है. फिर भी ये मामले थमने का नाम नही ले रहे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, तो यहां तक कह चुके हैं कि यदि गुजरात से नकली रेमडेसिविर आ रहे हैं, तो पुलिस वहां से अपराधियों को उठा लाए और उन पर मध्यप्रदेश में मामला चलाया जाए.
कालाबाजारी रोकने के लिए पोर्टल
भोपाल में भी नकली रेमडेसिविर का धंधा जोरों से फल फूल रहा है. भोपाल पुलिस के साथ क्राइम ब्रांच और पुलिस की इंटेलिजेंस की टीमें, इस कारोबार को करने वाले लोगों के पीछे पड़ी है. कुछ लोग जनता को इस आपदा में भी लोग धोखा देने से बाज नहीं आ रहे हैं. रेमडेसिविर की कालाबाजारी रोकने के लिये प्रशासन ने हॉस्पिटल और अपने बीच एक पोर्टल बनाया है, जिसके तहत भर्ती मरीज को यदि रेमडेसिविर लगना है, तो अस्पताल प्रबंधन उसकी जानकारी पोर्टल पर अपलोड कर देता है और प्रशासन मरीज को रेमडेसिविर का अलॉटमेंट कर देता है और फिर परिजन उसे जिला चिकित्सालय से शुल्क जमा करके प्राप्त कर सकता है.
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