भोपाल। 20 दशक के बाद एक बार फिर कृष्ण का किरदार निभाने नितीश भारद्वाज जा रहे हैं. इस बार ये रंगमंच का मैदान होगा. कृष्ण के दर्शन की ऊंगली थमाकर सिखाते हुए कि दुखों के पहाड़ से, अवसाद से कैसे उबरा जाता है. कैसे निकला जाता है पीड़ाओं के चक्रव्यूह से. चक्रव्यूह ये वो नाटक है जिसमें नीतिश भारद्वाज 2 दशक से भी ज्यादा वक्त के बाद फिर कृष्ण का किरदार निभा रहे हैं. नीतिश भारद्वाज ने ईटीवी-भारत से हुई खास बातचीत में कृष्ण के दर्शन से लेकर राजनीति तक तमाम मुद्दों पर बात की.
चक्रव्यूह के साथ नया संदेश:नाटक चक्रव्यूह का मंचन कमानी ऑडिटोरियम दिल्ली में होने जा रहा है. इस नाटक में नितीश भारद्वाज कृष्ण की भूमिका में हैं. नीतिश कहते हैं मैने हमेशा ही कृष्ण के दर्शन को जीवन में उतारने पर जोर दिया है. ये नाटक चक्रव्यूह आज के परिवेश के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. चक्रव्यूह बताता है कि अगर की निकट के प्रिय जन की मृत्यु हो जाए तो इस दुख से कैसे उबरा जा सकता है. कैसे अकेले पालक होने की चुनौतियों के साथ जीवन में आने वाली बुरी से बुरी आपदाओं का भी बहादुरी से सामना करना है. नीतिश जोड़ते हैं मेरी ये मान्यता है कि कृष्ण और गीता का दर्शन में हमें अपनी सभी समास्याओं का समाधान मिलता है.
क्या कृष्ण रुप में ही देखना चाहते हैं दर्शक:नीतिश एकदम खरे लहजे में कहते हैं कि, मुझे कोई भी कभी कुछ भी करने के लिए दबाव नहीं डाल सकते. ये मेरा स्वयं का विचार है कि कैसे भगवान कृष्ण के जरिए कैसे आधुनिक जीवन शैली में जीवन का सार्थक संदेश पहुंचाया जा सके. मेरा विश्वास है कि आम आदमी को इससे बहुत सहायता मिलेगी.
महाभारत के कृष्ण नितीश भारद्वाज महाभारत की तरह दुनिया तक पहुंच रहा चक्रव्यूह:नीतिश बताते हैं कि, अब हमने प्ले को री-लॉन्च कर दिया है. हम नाटक के 100 वें मंचन की तरफ बढ़ रहे हैं. हमारे पास यूके, यूएसए, फिजी और ऑस्ट्रेलिया से ऑफर हैं, लेकिन फिलहाल हम कोविड की स्थिति के बेहतर होने का इंतजार कर रहे हैं. क्योंकि हमारी टीम में करीब 18 लोग हैं, जिनकी जान को मैं जोखिम में नहीं डाल सकता.
राजनीति के चक्रव्यूह से निकले, क्या फिर करेंगे वापिसी:1996 में जमशेदपुर सीट से बीजेपी के टिकट पर सांसद बनें नितीश भारद्वाज मध्यप्रदेश में भी 2003 के बाद सक्रीय राजनीति में रहे. उन्हें मध्यप्रदेश पर्यटन निगम का चैयरमेन भी बनाया गया था, लेकिन लंबे वक्त से उनकी राजनीति में सक्रीयता नहीं है. नीतिश राजनीति के सवाल पर कहते हैं. फिलहाल मैं भारत के गुमनाम नायकों में से एक नायक पर हिंदी की एतिहासिक फिल्म के निर्देशन की प्लानिंग कर रहा हूं. बाकी मां भगवती जो आदेश देगी उनके मार्गदर्शन का पालन करूंगा.
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समाज के लिए क्यों जरुरी है नाटक:नीतिश जवाब में कहते हैं भारत के पास जो ज्ञान की संपदा है वो हजारों साल पूर्व ऋषि मुनियों ने लिखी है. यही वो प्रकाश है वो ज्ञान है जो हमें एक व्यक्ति एक समाज और एक राष्ट्र के रुप में हमें कर्त्व्य पथ पर हमें आगे ले जाता है. विश्व शांति का मार्ग प्रशस्त करता है. जिस उथल पुथल के दौर से पूरी दुनिया गुजर रही है उसे संभाल पाना केवल भारत और उसके ज्ञान की संपदा के बूते ही संभव है.