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Spiritual Farming: योग ध्यान की मदद से फसलों की बढ़ाई जा रही है पैदावार, नकारात्मकता की भी कमी - madhya pradesh news

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विवि ने अच्छी फसल के लिए एक अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान में किसानों को योग ध्यान के साथ जैविक खेती करने के लिए भी प्रेरित किया जाता है.

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योग ध्यान की मदद से फसलों की बढ़ाई जा रही है पैदावार

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Published : Feb 27, 2023, 9:48 PM IST

भोपाल। मिसरोद गांव के किसान रामेश्चवर पाटीदार इन दिनों अपनी फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए खेत पर ध्यान योग का प्रयोग करते देखे जा रहे हैं. लोग इन्हें कौतूहल भरी निगाहों से देखते हैं. जब यह जानकारी ईटीवी भारत के पास आई तो पूरा मामला समझने के लिए किसान रामेश्चवर से बात की. वे बोले कि अच्छी फसल के लिए प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विवि ने एक अभियान शुरू किया है. जब इसके बारे में उन्हें पता चला तो वे जुड़ गए. उनके अनुसार इसका प्रयोग करने से उनकी पैदावार 15 फीसदी तक बढ़ गई.

जैविक खेती करने के लिए किया जा रहा प्रेरितः पूरी जानकारी के लिए इस अभियान को संचालित करने वाली ब्रह्माकुमारी संस्थान की डॉ. रीना से बातचीत की. इसमें पता चला कि यह उनका शाश्वत खेती नामक अभियान है. इसके जरिए किसानों को योग ध्यान के साथ जैविक खेती करने के लिए भी प्रेरित किया जाता है, जब कोई उनकी बात से सहमत होता है तो संस्थान की टीम किसान के खेत में पहुंचकर ध्यान योग करती है. ऐसा करने का मकसद यह है कि फसल में भी आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हो सके और ज्यादा से ज्यादा पैदावार किसानों को मिले. डॉ. रीना भोपाल में स्थित ब्रह्माकुमारी संस्थान के रोहित नगर केंद्र की प्रभारी हैं और उन्हीं के गाइडेंस में संस्थान की एक टीम निरंतर मिसरोद क्षेत्र के गांव भोजनगर में यह प्रयोग कर रही है. टीम का दावा है कि ध्यान योग कर खेतों से नकारात्मकता को हटाया है. उन्होंने खेत में बोहनी से पहले ध्यान योग करके बोई जाने वाली फसल के बीज, खाद समेत प्रकृति के पंचतत्व यानी पृथ्वी, आकाश, वायु, अग्नि और जल को वाइब्रेशन दिया था. ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा खेतों में बोई जाने वाली फसल के भीतर पॉजिटिविटी लाने के लिए देशभर में अभियान चलाया जा रहा है.

रायसेन में किसानों के खेतों में कराया जा चुका है प्रशिक्षण:मिसरोद के भोजनगर से पहले रायसेन जिले के ओबेदुल्लागंज और बेगमगंज ब्लॉक में जाकर कुछ किसानों के खेतों में प्रशिक्षण कराया जा चुका है. दावा है कि इसके बहुत सकारात्मक परिणाम आए हैं. डॉ. रीना का दावा है कि आध्यात्मिक ज्ञान आधारित इस विधि से पैदा की जाने वाली फसल किसी भी तरह से दूषित नहीं हो पाती है, यानी उसमें सकारात्मकता रहती है. इसके लिए जरूरी है कि बुआई से पहले बीज व खाद को ध्यान योग की मदद से प्रकंपन दिया जाए. जब खेत में यही फसल उग आती है तो पूरे खेत की परिक्रमा की जाती है. इतना ही नहीं फसलों को परमात्मा के नाम से शुभकामना संदेश दिया जाता है कि वह बहुत उपजाऊ और पौष्टिकता से भरी हों. इस संदेश में कहा जाता है कि “सभी वनस्पतियों पर परमात्मा के स्नेह की किरणें बरस रही हैं. फसल लहलहा रही है.

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तीन प्रकार से बीजों की बुवाई कीः ब्रह्मकुमारी संस्थान ने गेहूं अनुसंधान निदेशालय करनाल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सुभाष गिल के गाइडेंस में दो एकड़ जमीन पर प्रयोग शुरू किया. इसमें तीन प्रकार से बीजों की बुवाई की गई. पहली तरीका यौगिक एवं जैविक, दूसरा सिर्फ जैविक और तीसरा रासयनिक था. इसमें से सर्वाधिक उपज और प्रोटीन यौगिक व जैविक पद्धति से उगाई गई फसल में मिली. पहली बार यह प्रयोग वर्ष 2012-13 में किया गया था. बहरहाल भोपाल में ऐसा पहली बार किया जा रहा है.

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