भोपाल। यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर विरोध में उतरे जमीयत-ए-उलेमा जैसे संगठन यूसीसी के खिलाफ हाईटेक विरोध जताते सामने आए हैं. इसके लिए जमीयत उलेमा ने बाकायदा एक क्यू आर कोड जारी किया है. मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में मस्जिदों पर ये क्यूआर कोड लगाए हैं. कोड को मोबाइल पर स्कैन करने के बाद बाकायदा एक ईमेल सामने आता है. जिस पर यूसीसी को लेकर जमीयत उलेमा की राय बिंदुवार दी गई है. इस ईमेल में बताया गया है कि यूनिफार्म सिविल कोड के लागू हो जाने का विरोध किन बिंदुओं पर है. इस मेल में केवल नाम दर्ज करने के साथ ये मेल सीधे विधि विभाग को पहुंचाया जा सकता है. विधि विभाग की ओर से यूसीसी के विषय में दावे और आपत्तियों को लेकर 14 जुलाई आखिरी तारीख नियत की गई है.
यूसीसी क हाईटेक विरोध:समान नागरिक संहिता को लेकर जमीयत-ए-उलेमा जैसे मुस्लिम संगठन अब पूरी तैयारी के साथ मैदान में हैं. जमीयत-ए-उलेमा के मध्य प्रदेश के अध्यक्ष मोहम्मद हाजी हारुन ने बताया कि ''संगठन की ओर से बाकायदा एक क्यू आर कोड जारी किया गया है. जिसे हमने मस्जिदों पर लगाया है. सोशल मीडिया के जरिए भी इसका प्रचार किया जा रहा है. इस क्यू आर कोड को स्कैन करने के सथ ही एक ईमेल खुलता है. जिसमें कॉमन सिविल कोड को लेकर जमीअत उलेमा के एतराज़ दर्ज किए गए हैं. वो पाइंट्स दिए गए हैं जो विस्तार से ये बताते हैं कि अगर कॉमन सिविल कोड लागू किया गया तो क्या दिक्कतें पेश आएंगी. इस ईमेल में सारे फैक्ट्स से गुजरने के बाद व्यक्ति अपना नाम दर्ज करने साथ इस आपत्ति पर अपनी सहमति दर्ज कराते हुए अपनी राय विधि आयोग को भेज सकता है.''
यूसीसी का खाका तो दिखाए सरकार:जमीयत-ए-उलेमा की मध्यप्रदेश में जवाबदारी संभाले मोहम्मद हाजी हारुन ने यूसीसी पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा है कि ''सरकार हमसे राय मांग रही है, यूसीसी पर सरकार हमको ढांचा बनाकर तो दे, ये तो बताए कि उसका खाका क्या होगा. यानि ये तो वही बात हो गई कि 'सूत ना कपास जुलाहे में लट्ठम लट्ठा.'' मोहम्मद हाजी हारुन का कहना है कि ''जो चीजें भारत में कॉमन हो सकती हैं वो सब कॉमन पहले से ही हैं. कॉमन संविधान है. अब इस्लाम में लड़कों को पूरी प्रापर्टी और लड़कियों को आधी प्रापर्टी का प्रावधान है. क्या कॉमन सिविल कोड के बाद ये जारी रह सकेगा. हमारे यहां निकाह के समय लड़की को लड़का मेहर देता है एक तरीके से ये उस लड़की की सिक्योरिटी की गारंटी होती है, उसका क्या होगा. सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि गांव-गांव में रजिस्ट्रेशन सेंटर कैसे बनेंगे. क्या ये संभव हो पाएगा. क्या इतना मैन पॉवर है सरकार के पास. इस्लाम कहता है कि निकाह आसान करो जिससे मर्द पराई स्त्री पर नजर ना डाल सके. बगैर खर्चे के भी शादियां हो रही हैं. आदमी औरत और दो गवाह इतनी आसान है इस्लाम में शादी.'' हारून कहते हैं ''मेरा सवाल है कोर्ट इनसे संभल नहीं रही, वकील हैं नहीं, रजिस्ट्रेशन सेंटर कहां से खोलेंगे.''