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अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट को निगम नहीं दे रहा फंड, विश्राम घाटों पर लाखों की उधारी

भोपाल नगर निगम और श्मशान घाटों के बीच कोविड-19 से संक्रमित शवों के अंतिम क्रिया कर्म और कफन-दफन के लिए प्रत्येक दाह पर 5000 रुपए दिए जाने की बात हुई थी, लेकिन अब नगर निगम अपने वादे से मुकर रहा है.

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Published : Sep 23, 2020, 1:59 AM IST

Bhopal Municipal Corporation not giving money to cremation grounds for cremation
अंतिम संस्कार के लिए निगम नहीं दे रहा पैसे

भोपाल।कोरोना महामारी के चलते शुरुआती दिनों में शवों के अंतिम संस्कार करना भी एक बहुत बड़ी चुनौती का काम था, इसके लिए भोपाल में विश्राम घाट कब्रिस्तान के कर्मचारी और नगर निगम भोपाल के बीच हुए समझौते में घोषणा की गई थी कि कोविड-19 से संक्रमित शवों के अंतिम क्रिया कर्म और कफन-दफन के लिए प्रत्येक दाह पर 5000 रुपए दिए जाएंगे, लेकिन निगम अब अपने वादे से मुकर रहा है.

अंतिम संस्कार के लिए निगम नहीं दे रहा पैसा

उधर भदभदा विश्राम घाट के पदाधिकारियों का कहना है कि प्रशासन की तरफ से पैक शव लाए जाते रहे और प्रशासन की गाइडलाइन अनुसार शवों का दाह संस्कार किया गया, लेकिन नगर निगम नए नियम बता रहा है. हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि भदभदा श्मशान घाट लकड़ी और गो कास्ट उधार में खरीद कर शवों का निस्तारण कर रहा है, जिस कारण इन घाटों की उधारी लगभग 17 लाख से ऊपर पहुंच गई है.

भदभदा विश्राम घाट के अध्यक्ष अरुण चौधरी ने ईटीवी भारत को बताया कि 529 शव भदभदा विश्राम घाट पर कोविड-19 से मृत व्यक्तियों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं, जिसमें मात्र 72 शवों का पैसा 3 दिन पहले बमुश्किल मिला है. अब हमें लकड़ी वालों और गो-कास्ट वालों का लगभग 17 लाख से अधिक देना है. अरुण चौधरी ने बताया कि कर्मचारियों को देने के लिए भी पैसा नहीं था फिर भी हमने आपस में पैसा मिलाकर कर्मचारियों की 3 माह की सैलरी बाटी है, लेकिन अब हालात खराब हो रहे हैं, सरकार को चाहिए की वह मदद करे और हमारी पेमेंट कराए.

पहले प्रतिदिन 10 से 12 शव आते थे, अब 15 से 20 शव आ रहे हैं. किसी-किसी दिन तो यह संख्या 30 से 35 तक पहुंच जाती है. भदभदा श्मशान घाट के सचिव ममतेश शर्मा ने जानकारी दी की विश्राम घाट और कब्रिस्तान को पेमेंट रेड क्रॉस करता है, लेकिन अभी तक रेडक्रास की प्रक्रिया बहुत ही लचर दिखाई दे रही है. अब तक मात्र 72 दाह संस्कार का पेमेंट ट्रांसफर किया गया है. जबकी उनके ऊपर बाजार का 17 लाख से 18 लाख रुपए का उधार है.

कुल मिलाकर लगता है कि कोविड-19 महामारी के कारण प्रशासन हड़बड़ी और अति सतर्कता में दो ढाई माह तक कोरोना संदिग्ध और कोरोना पॉजिटिव में अंतर नहीं कर पाया और समस्त शवों को गाइडलाइन और नियमों के अनुसार अंतिम संस्कार करवाता रहा. लेकिन जब कब्रिस्तान और विश्राम घाट को भुगतान करने की बारी आई तो पेमेंट करने में आनाकानी करने लगा.

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