भोपाल। राजधानी भोपाल में ऊंचे टावर और बड़ी इमारतें दिखना आम बात हो गई है. लेकिन जिम्मेदार इन बड़ी-बड़ी इमारतों के सुरक्षा मापदंडों पर कोई ध्यान नहीं दे रहे है. मध्य प्रदेश में मानसून ने दस्तक दे दी है. इसके बाद भी टावरों और इमारतों के मालिक आकाशीय बिजली (thunder storm) से बचने के लिए तड़ित चालक लगवाने की ओर कोई ध्यान नहीं है.
सुरक्षा मापदंडों को नजरअंदाज करने का नतीजा मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों ही देखने को मिला. तीनों राज्यों में अभी तक 76 से ज्यादा लोगों ने आकाशीय बिजली के कारण जान गवां दी. इन हादसों के बाद राजधानी के सभी जी प्लस 2 (दो मंजिला से ज्यादा ऊंचे भवन) भवनों में तड़ित चालक (लाइटनिंग कंडक्टर) लगाने के लिए नगर निगम सर्वे कराने की तैयारी कर रहा है. भोपाल के बड़े सरकारी भवनों में तो तड़ित चालक लगे हुए, लेकिन निजी भवनों में इसकी सुविधा नहीं है.
सरकारी भवनों में सुविधा, निजी में नहीं
जानकारी के मुताबिक राजधानी के ज्यादातर बड़े सरकारी भवनों में सतपुड़ा, विध्यांचल, नर्मदा भवन, पर्यावास भवन सहित अन्य भवनों में तो तड़ित चालक लगे हैं. वहीं निजी भवनों पर इस बारे में अब तक कोई सर्वे नहीं हुआ है. ईटीवी भारत ने जब राजधानी की कुछ कालोनियों में तड़ित चालक लगे होने की बात पता की, तो अधिकतर में तड़ित चालक दिखाई नहीं दिए. ई-8 स्थित कान्हा टावर में तड़ित चालक का पता नहीं था. इसी के साथ ही हाउसिंग बोर्ड द्वारा बनाए गए कीलनदेव टावर्स और महादेव टावर में भी तड़ित चालक नजर नहीं आया.
तड़ित चालक नहीं लगा होने पर होगी कार्रवाई
नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर एमपी सिंह का कहना है कि नगर निगम शहर की हाईराइज बिल्डिंग्स में तड़ित चालक लगे हैं या नहीं, इसका सर्वे कराएगा. यदि बिल्डिंग्स में तड़ित चालक नहीं पाए गए तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
पिछले साल 50 संस्थाओं को जारी हुए थे नोटिस
बिल्डिंग में तड़ित चालक लगाने का नियम तो पुराना है, लेकिन अब तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है. जानकारी के मुताबिक नगर निगम ने निजी बिल्डर्स के साथ 50 से अधिक शासकीय संस्थाओं को नोटिस जारी किए थे. नगरीय आवास एवं विकास विभाग ने भी पिछले साल सभी नगर निगम आयुक्तों को एक पत्र भेजा था.