भोपाल।अगर भोपाल की जनता पूछ ले कि, भोपाल की माननीय सांसद प्रज्ञा ठाकुर जी विगत साढ़े तीन साल के कार्यकाल में आपने अपने क्षेत्र की जनता के लिए क्या किया.? तो प्रज्ञा ठाकुर विवादित बयानों की फेहरिस्त सामने रखेंगी या लालघाटी से लेकर हलालपुरा के नए नामकरण के प्रस्ताव गिनाएंगी. भोपाल को मिली कौन सी सौगातें सांसद प्रज्ञा ठाकुर के नाम हैं. भोपाल पर 38 बरस पहले आए सबसे बड़े संकट की लड़ाई हो या मौजूदा कोरोना की तीसरी लहर की तबाही प्रज्ञा ठाकुर इस मुद्दे और मुश्किल में क्यों और कहां गायब थीं.
त्रासदी के पीड़ितों का अफसोस:भोपाल में हुई दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक त्रासदी के पीड़ितों का सबसे बड़ा अफसोस है कि उन्हें भोपाल की सांसद की नुमाइंदगी नहीं मिली. गैस त्रासदी के 38 साल बाद जब 5 लाख 21 हजार गैस पीड़ितों को सही मुआवजा दिलाने की लड़ाई जारी है. तब भी भोपाल सांसद इनके हक की आवाज़ बनकर सामने नहीं आई.
गैस पीड़ितों पर क्यों नहीं खोला मुंह:भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एण्ड एक्शन की रचना ढींगरा कहती हैं कि, भोपाल सांसद ने आज तक विश्व के भीषणतम औद्योगिक हादसे के भोपाल पीड़ितो के एक भी मुद्दे पर अपना मूंह नही खोला है. वे कहती हैं चाहे वो गैस पीड़ितों के सही मुआवजे के मामला हो, जहरीले कचरे की सफाई हो, केंद्र और राज्य सरकार की ठप्प होती हुई इलाज व्यवस्था या फिर आर्थिक या सामाजिक पुनर्वास का मामला हो. हमारी सांसद को यूनियन कार्बाइड के पीड़ितों के प्रति कोई रुचि नहीं और ना ही इन्होंने गैस पीड़ितों से संबंधित मुद्दे पर अब तक एक भी सवाल संसद में उठाया है. रचना जोड़ती हैं उनका पूरा समय और जनता का पैसा सिर्फ भड़काऊ भाषण और एक जगह के नाम को बदलकर दूसरा रखने में जाया हो रहा है.
संसद में उठाए गाय मंदिर के मुद्दे:सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने 17 वीं लोकसभा के अब तक हुए 10 सत्रों में करीब 34 सवाल पूछीं हैं. एक औसत से देंखे तो एक सत्र में केवल तीन प्रश्नों का औसत रहा है. इसमें भी जो प्रमुख मुद्दे उन्होने उठाए उसमें पंचायत स्तर तक जनऔषधि केन्द्र खोले जाने के साथ योगा सेंटर खोले जाने का मुद्दा उठाया. भोपाल से फ्लाईट की कनेक्टिविटी बढाने, गायों की फिक्र के साथ हिंदू धार्मिक स्थलों के रखरखाव की राशि को लेकर प्रश्न उठाए गए. सायबर क्राइम का शिकार हो चुकी हैं सांसद लिहाजा इसे लेकर मुद्दा भी उन्होने संसद में उठाया. 2019 में जब पहली बार संसद पहुंची थी तो निराशआजनक प्रदर्शन की वजह से इन्होने बीजेपी और संघ की चिंता बढ़ा दी थी. 2019 में जब नए चुने गए सांसदों का प्रदर्शन आंका जा रहा था उस समय प्रज्ञा ठाकुर की ओर से एक सवाल भी संसद में नहीं पूछा गया. शून्यकाल में भी केवल चार मुद्दे ही उठाए गए थे.