भोपाल। पद्मावती फिल्म के विरोध में दीपिका पादुकोण की नाक काट देने की चेतावनी के साथ सुर्खियों में आई कर्णी सेना ने पांच साल में शक्ल और तेवर बदल लिए हैं. ये भोपाल में चार दिन बीजेपी सरकार के लिए आफत बने आंदोलन ने बता दिया, लेकिन 21 सूत्रीय मांगों में से 18 के मांग लिए जाने के बाद भी चुनावी साल में खड़े मध्यप्रदेश में बीजेपी के लिए करणी सेना का संकट टला नहीं है. आर्थिक आधार पर आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट की खिलाफत पर अड़ी करणी सेना 2 महीने के ब्रेक के बाद इन दो बड़ी मांगों को लेकर फिर एक बार आंदोलन तेज करेगा. इस बार केन्द्र सरकार पर दबाव बनाया जाएगा और सांसदों के इलाके में करणी सेना का आंदोलन जोर पकड़ेगा. यानि अब 2024 का चुनाव के मद्देनजर करणी सेना दम दिखाएगी. तैयारी पूरे देश में जनजागरण यात्राएं निकालने की भी है.
आंदोलन टला है खत्म नहीं: भोपाल में 4 दिन तक सरकार की नाक में दम करने के बाद करणी सेना का आंदोलन इस आश्वासन के साथ खत्म हुआ है कि 18 सूत्रीय मागों पर सरकार कमेटी बनाकर अमल करवाएगी. लेकिन ये आंदोलन के खात्मे का पूर्णविराम नहीं ब्रेक है. करणी सेना के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर ने भी बाकायदा अल्टीमेटम देकर आंदोलन खत्म किया है. शेरपुर ने अल्टीमेटम दिया है कि 2 महीने का समय सरकार को दिया जाएगा. अगर 2 महीने में मांगे पूरी नहीं हुई तो करणी सेना इसी तेवर के साथ फिर मध्यप्रेदश की सड़कों पर आंदोलन करते उतारु हो जाएगी. दूसरी अहम बात कि करणी सेना का असल संघर्ष एट्रोसिटी एक्ट और आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर है. उसकी वजह भी है. करणी सेना का आंदोलन इन दो मांगों को उठाने के साथ सवर्ण समाज का आंदोलन बना है. इसी वजह से सवर्ण समाज ने भी करणी सेना को समर्थन दिया है.
अब सांसदों के इलाके में सेना दिखाएगी दम:करणी सेना के तेवर ब्रेक के बाद फिर दिखाई देंगे. इस बार प्रदेश के सांसदों के इलाके में. इस मांग के साथ कि वो अपनी पार्टी के साथ संसद में एट्रोसिटी के साथ आर्थिक आरक्षण को लेकर माहौल बनाएं. करणी सेना के कृष्णा बुंदेला बताते हैं ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आंदोलन खत्म हो गया. आश्वासन के बाद ये ब्रेक है. 18 मांगे प्रदेश सरकार ने मांनी हैं और कहा है कि मंत्रियों की कमेटी बनाकर इस पर अमल होगा. हमे अधिकारियों ने बताया कि दो महीने का समय इन्हे अमल में लाने में लगेगा. इसलिए करणी सेना ने भी दो महीने का अल्टीमेटम दिया है. अगर दो महीने बाद सरकार हमारी मांगो को अमल में नहीं लाती तो फिर करणीसेना सड़कों पर उतरेगी और ये तो तय मानिए कि दूसरे चरण में अब केन्द्र सरकार से मागे गनवाने हम मैदान में उतरेंगे इस बार प्रदेश भर के सांसदों के जरिए मांगे मनवाने आंदोलन छेड़ा जाएगा.