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Bhopal Gas Tragedy त्रासदी की 38 वीं बरसी पर फिर उभरा दर्द व आक्रोश, भोपाल से लेकर दिल्ली तक धरना

भोपाल गैस कांड (Bhopal Gas Tragedy) के पीड़ितों ने भोपाल से लेकर दिल्ली तक धरना प्रदर्शन और रैली निकालकर अपनी आवाज बुलंद की. दिल्ली में रचना ढींगरा की अगुवाई में हजारों गैस पीड़ित जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे और उचित मुआवजा दिए जाने की मांग की. वहीं, भोपाल में पुट्ठा मिल से डाउ केमिकल तक रैली निकाली (Bhopal gas victims rally) गई और वॉरेन एंडरसन का पुतला भी जलाया गया.

Bhopal Gas Tragedy 38th anniversary
Bhopal Gas Tragedy त्रासदी की 38 वीं बरसी पर फिर उभरा दर्द व आक्रोश

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Published : Dec 3, 2022, 3:35 PM IST

भोपाल।भोपाल गैस कांड की 38वीं बरसी पर गैस पीड़ितों का आक्रोश (Pain and anger on 38th anniversary) एक बार फिर नजर आया. भोपाल से लेकर दिल्ली तक गैस पीड़ितों ने पुनर्वास और सही मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर हल्ला बोल दिया. गैस पीड़ितों का कहना है कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित मामले में मौतों और बीमारियों के सही आंकड़े पेश करे. साथ ही हर गैस पीड़ित को 6 लाख का कम से कम मुआवजा दिया जाए. इन्हीं मांगों को लेकर उन्होंने दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना देकर अपनी आवाज बुलंद की.

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गैस पीड़ितों ने निकाली रैली : इधर, भोपाल में भी गैस कांड की बरसी पर डाउ केमिकल और यूनियन कार्बाइड के खिलाफ विरोध प्रदर्शन दिखाई दिया. गैस पीड़ितों ने पुट्ठा मिल चौराहे से यूनियन कार्बाइड तक रैली निकाली और नारे लगाते हुए डाउ केमिकल और एंडरसन का पुतला दहन किया. उनका कहना था कि इतने साल बीत जाने के बाद आज भी यह मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. यूनियन कार्बाइड के परित्यक्त कारखाने के पास दूषित भूमि के उपचार के लिए ग्लोबल टेंडर आमंत्रित करने के राज्य सरकार के 2010 का वादा अधूरा है.

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सही आंकड़े पेश करे सरकार : 11 साल पहले राज्य सरकार ने यूनियन कार्बाइड और डाव केमिकल के कारण होने वाले पर्यावरणीय नुकसान का आकलन करने के लिए एक विशेषज्ञ पैनल गठित करने और उनसे मुआवजे की मांग करने का वादा किया था. उसके बाद से सरकार ने इस दिशा में कुछ भी नहीं किया. राज्य सरकार को गैस कांड से हुए नुकसान के सही आंकड़े पेश करने चाहिए तभी पीड़ितों को सही मुआवजा मिल पाएगा, जो उनका कानूनी हक़ है.

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10 जनवरी को है सुनवाई :गैस पीड़ितों का कहना है कि गैसकांड की 26वीं वर्षगांठ के अवसर पर राज्य सरकार ने संबंधित सभी कानूनी कार्रवाई की बारीकी से निगरानी के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित करने का वादा किया था, जबकि आज तक इस विशेष प्रकोष्ठ का गठन किया जाना बाकी है. पिछले महीने सुधार याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील की चुप्पी हम सबके लिए निराशाजनक थी. हमें उम्मीद है कि 10 जनवरी को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील गैसकाण्ड से हुई मौतों और बीमारियों के संशोधित आंकड़ों पर दलील पेश करेंगे.

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