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मोहन भागवत के बयान के समर्थन में उतरे दलित और ओबीसी, ब्राह्मणों ने जताया विरोध, बीजेपी को चुनावों में होगा फायदा

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Published : Feb 8, 2023, 6:52 AM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जाति और पंडितों को लेकर बयान दिया था, जिसके बाद की ओर से ब्राह्मणों में रोष हैं, वहीं दलित और ओबीसी वर्ग के लोग उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं (Mohan Bhagwat Statement Controversy). मोहन भागवत के बयान पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा की धर्म ग्रंथ के बारे में कहने का अधिकार धर्म आचार्यों को होना चाहिए, राजनीति के लोगों को नहीं.

Dalits OBC in support of Mohan Bhagwat statement
मोहन भागवत बयान का ब्राह्मणों ने किया विरोध

भोपाल। संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान के बाद जहां पंडितों में रोष है तो वहीं इस बयान के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं (Dalits OBC in support of Mohan Bhagwat statement). पंडितों का गुस्सा इसलिए भी है क्योंकि बीजेपी नेताओं की तरफ से पंडित बिरादरी के लिए अपशब्द कहे गए. लेकिन इस बार संघ प्रमुख की तरफ से शब्द के मायने कुछ अलग हैं, जानकारों के मुताबिक ऐसे समय पर भागवत के बयान के मायने हैं कि संघ वर्ग भेद को खत्म कर समानता लाने की मुहिम में जुटा है.

भागवत के बयान से दलित और ओबीसी खुश:मोहन भागवत का बयान बीजेपी को विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनाव में फायदा पहुंचाएगा, इनके बयान से दलित और आदिवासी के साथ साथ ओबीसी की सिंपैथी संघ की तरफ बढ़ेगी जिसका फायदा बीजेपी को होगा. इससे पहले बीजेपी के नेता ब्राह्मणों को लेकर विवादित बयान दे चुके हैं. बता दें कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मुंबई में संत रविदास जयंती के मौके पर विवादित बयान देते हुए कहा था कि भगवान ने हमेशा बोला है कि मेरे लिए मेरे लिए सभी एक हैं. पंडितों ने जातिगत श्रेणी बनाईं, जो गलत था. इस बयान के बाद से देश में पंडितों में गुस्से का माहौल है.

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ब्राह्मणों की नाराजगी से बीजेपी को नुकसान या नफा:ब्राह्मण वर्ग की नाराजगी बीजेपी से है, इसकी वजह प्रीतम सिंह लोधी हैं, जो की बीजेपी नेता रहे हैं. दूसरा पार्टी के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव भी खुले मंच से कह चुके है कि बीजेपी की एक जेब में बनिया और एक जेब में ब्राह्मण हैं, ऐसे में लगता है बीजेपी को ब्राह्मण वोट बैंक उतना मायने नहीं रखती, क्योंकि इनके मुकाबले अन्य जाति का वोट बैंक बहुत बड़ा वोट बैंक है.

ब्राह्मण नहीं बल्कि दूसरे वर्ग के वोटर्स पर नजर:सवर्णों का जिक्र करें तो इस वोट बैंक का बीजेपी की तरफ झुकाव रहता है, लेकिन सवर्ण में ब्राह्मण भी आता है और ये बातें ब्राह्मणों के लिए कहीं गई हैं, ब्राह्मण वोटर पार्टी का मजबूत वोटर रहा है. लेकिन इस तरह के बयान बता रहे हैं कि संघ का ये बयान बाकी जातियों में पॉजिटिव संदेश देगा.

भागवत के बयान को वापस लेने का दवाब बना रहे हैं ब्राह्मण:ब्राह्मण समाज ने मोहन भागवत के बयान को वापस लेने की मांग की है और ये आवाज ग्वालियर चंबल से उठने लगी है. वही शंकराचार्य ने भी भागवत के बयान पर कहा कि उन्होंने अगर कोई अनुसंधान किया होगा तो उनसे यह पूछना होगा कि उन्हें किस अनुसंधान के तहत यह जानकारी मिली है. वे कुछ बताएंगे तो उसके अनुसार ही हम आगे कुछ कह पाएंगे.

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धर्म ग्रंथ के बारे में कहने का अधिकार धर्म आचार्यों को:शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा "देश में राजनीति ध्रुवीकरण के प्रयास करते रहती है. कई तरह से ध्रुवीकरण के प्रयास होते हैं. बीपी सिंह के समय मंडल कमंडल जैसी चीज को भी देखा था. तब भी जातियों को बांटने की कोशिश की गई थी. अभी धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण है. कुछ लोग चाहते हैं कि समुदाय में भी दो भाग कर दिया जाए अगड़े और पिछड़े का. फिर कोई अगड़े की राजनीति करे और कोई पिछड़े की राजनीति करे, ऐसी नेताओं की इच्छा है. धर्म ग्रंथ के बारे में कहने का अधिकार धर्म आचार्यों को होना चाहिए, राजनीति के लोगों का नहीं. राजनीति करने वाला अगर धर्म ग्रंथ के बारे में कहता है तो समझ लीजिए कि धर्म ग्रंथ का आशय लेकर वह राजनीति में काबिज होना चाहते हैं"'. वहीं दलित नेता रामकुमार अहिरवार का कहना है कि ''मोहन भागवत के बयान से हम पूरी तरह से सहमत है, इनका कहना है कि दलितों से भेद भाव किया गया , वर्ण की व्यवस्था ब्राह्मणों द्वारा बनाई गई थी, जिसके चलते दलितों को परेशान किया गया''.

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