भोपाल। नवम्बर 2005 की तरह के पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के तेवर होते तो इस वक्त अपनी तय घोषणा के मुताबिक उमा भारती शराबबंदी के खिलाफ हुंकार भरतींं. मीडिया से घिरी हुई एमपी के किसी हिस्से में टेंट में बैठी हुई दिखाई देती. याद कीजिए तो उनका ऐलान यही था कि सात नवम्बर से वे शराबबंदी के लिए सड़कों पर उतरेंगी. फिर मंदिर, नदी, जंगल कहीं भी टेंट लगाकर धरना देंगी. तारीख आ गई लेकिन उमा भारती अपने तेवर में नहीं आ पाईं, चर्चा है कि क्यों नहीं आ पाईं. हैरत तो ये भी है कि शराबबंदी के साथ सुर्खियों में रहीं साध्वी अपने नए संन्यास को लेकर चर्चाओं में हैं. सवाल ये कि चुनावी साल के मुहाने पर खड़े मध्यप्रदेश में बीजेपी की कभी फायर ब्रांड नेता रहीं उमा भारती हर दिन नए संदेश के साथ मुखातिब हो रही हैं. उनकी ये सियासत क्या है, ट्रेलर देख लेने के बाद दर्शकों को फिल्म का शिद्दत से इंतजार होता है. लेकिन क्या वजह है कि सियासत में उमा भारती पिछले लंबे वक्त से केवल ट्रेलर ही दिखा रही हैं.
शराबबंदी पर उमा का फिर यू टर्न:शराबबंदी को लेकर पहले 8 मार्च, फिर 15 जनवरी फिर 14 फरवरी और फिर 2 अक्टूबर पर विरोध के बाद जब उमा भारती ने मीडिया के बीच शराबबबंदी पर लंबे आंदोलन का ऐलान किया था, तब लगा था कि इस बार उमा भारती 17 साल पुराने उन तेवरों में दिखाई देंगी, जिन तेवरों के लिए उमा भारती जानी जाती हैं. तारीख नजदीक आने लगी तो शुरुआत में तेवर दिखाई भी दिए. प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में शराबबंदी के खिलाफ ट्रेलर दिखाती उमा भारती ने माहौल तो ऐसा बना दिया था कि अंदाजा लग जाए कि जब असल में एक्शन शुरु होगा तब क्या तस्वीर बनेगी. लेकिन 7 नवम्बर आंदोलन की तारीख के पहले साध्वी ने हवा का रुख ही बदल दिया. अब उमा भारती को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा इस बात को लेकर थी कि क्या वे अब दुबारा सन्यास लेने जा रही हैं. दीदी मां के नए संबोधन के साथ सियासत में बने रहने की गुंजाइश निकालती उमा भारती दिखाई दे रही हैं. ट्वीट कर 17 नवम्बर से नए संबोधन में आने का ऐलान कर चुकी उमा सफाई दे रही हैं कि मीडिया ने उनके ट्वीट को ठीक ढंग से पढ़ा नहीं. मीडिया को इन पर फिर से गौर करना चाहिए.