भोपाल। ललित कलाओं की राष्ट्रीय संस्था के रूप में स्थापित भोपाल का भारत भवन का उद्घाटन 13 फरवरी 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा किया गया था. स्थापना के समय से ही भारत भवन कला रूपांकन और कला के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त करता रहा है.
कलाकारों का मक्का है भोपाल का भारत भवन - Center of folk and classical styles
भोपाल में स्थित भारतभवन में स्थापत्य एवं प्राकृतिक दृश्यों का अनुपम समन्वय है. भारत भवन में लोक आदिवासी, कला संग्रह और आधुनिक कला की दो वीथिकाओं के अतिरिक्त वागर्थ कविता पुस्तकालय ललित कलाओं की कर्मशाला रंगमंडल के अंतर्गत अंतरंग बहिरंग और लोक और शास्त्रीय शैलियों का केंद्र स्थापित है.
भारत भवन में स्थापत्य एवं प्राकृतिक दृश्यों का अनुपम समन्वय है. भारत भवन में लोक आदिवासी, कला संग्रह और आधुनिक कला की दो वीथिकाओं के अतिरिक्त वागर्थ कविता पुस्तकालय, ललित कलाओं की कर्मशाला रंगमंडल के अंतर्गत अंतरंग बहिरंग और लोक और शास्त्रीय शैलियों का केंद्र स्थापित है. भारत भवन भोपाल के निदेशक प्रेम शंकर शुक्ला ने बताया कि जैसा कि सब जानते हैं कि भारत भवन बहूकला केंद्र है. जिसमें बहुत सी कलाएं समाहित हैं, जैसे नाटक रूपांकर कलाएं हैं. जिसमें शिल्प कला है. उसी के अंतर्गत चित्रकला है वर्कशॉप हैं, जिसमें सिरेमिक ग्राफिक है.
इसी के साथ संगीत और नृत्य अनहद डिपार्टमेंट भी है. साहित्य के लिए वागर्थ है, सिनेमा के लिए भी छवि नाम का एक विभाग है. वर्ल्ड पोएट्री का विभाग भी है. जिसकी स्थापना डेढ़ साल पहले हुई थी. कुल मिलाकर वर्तमान में साहित्य पुस्तकालय में लगभग 10 हजार से भी अधिक पुस्तकों का संग्रह है. वास्तु कला की दृष्टि से भी भारत भवन महत्वपूर्ण है. इस भवन की एक विशेषता ये भी है कि किसी भी स्थान से इसे एक साथ नहीं देखा जा सकता.