मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ई-मीडिएशन उम्मीद की नई किरण! तीन माह में 4215 शिकायतें, 910 परिवारों को टूटने से बचाया

By

Published : Oct 20, 2021, 9:46 AM IST

घरेलू कलह में बिखरते परिवारों के लिए ई-मीडिएशन उम्मीद की नई किरण बन रही है, पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की गई इस पहल के जरिए पिछले तीन महीने में सिर्फ तीन जिलों के 910 परिवारों को टूटने से बचाया गया है, जबकि कुल 4215 शिकायतें मिली थी. अब इसे सभी जिलों में लागू करने की तैयारी की जा रही है.

E-mediation a new ray of hope
ई-मीडिएशन उम्मीद की नई किरण

भोपाल। पारिवारिक विवाद निपटाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किए गए ई-मीडिएशन के बेहतर नतीजों को देखते हुए अब इसे सभी जिलों में लागू किए जाने की तैयारी की जा रही है. यह प्रोजेक्ट प्रदेश की राजधानी भोपाल के अलावा ग्वालियर और जबलपुर में शुरू किया गया था. इस दौरान इसके माध्यम से करीब एक हजार परिवारों को टूटने से बचाया गया है. महिला अपराध शाखा की अधिकारियों के मुताबिक ई-मीडिएशन के जरिए दोनों पक्ष ज्यादा खुलकर अपनी बात रख पाते हैं, जिसके नतीजे भी अच्छे आते हैं.

20 माह में 654 सुसाइड! बेरोजगारी-तंगी, घरेलू कलह बन रही आत्महत्या की वजह, बच्चे भी जान देने में नहीं हैं पीछे

ई मीडिएशन में आए 4215 मामले

पायलट प्रोजेक्ट के तहत राजधानी भोपाल सहित तीन जिलों में शुरू की गई ई मीडिएशन प्रोजेक्ट के तहत विगत तीन महीने में 4215 मामले आए, इनमें से 910 मामलों में समझौता करा लिया गया है. भोपाल में 1062 मामले आए, जिसमें से 215 मामलों में समझौता हो गया, वहीं ग्वालियर में 1258 मामले आए, जिनमें से 217 में समझौता कराने में सफलता मिली है. वही जबलपुर ई-मीडिएशन में 1895 मामले आए, जिसमें से 478 मामलों में दोनों पक्ष विवाद खत्म करने को राजी हो गए. इसके अलावा करीब 22 फीसदी मामले काउंसलिंग के अंतिम दौर में हैं, जिसमें समझौता होने की उम्मीद जताई जा रही है. महिला अपराध शाखा की एडीजी रूचि श्रीवास्तव के मुताबिक इसके बेहतर रिजल्ट देखने में मिल रहे हैं, इसे सभी जिलों में लागू करने पर विचार किया जा रहा है.

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर काउंसलिंग

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर तीनों जिलों के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मप्र पुलिस महिला अपराध शाखा, लीगल वाॅलेंटियर और ऊर्जा डेस्क के साथ मिलकर एक सामाजिक संस्था ने ई-मीडिएशन का ऑनलाइन प्लेटफार्म तैयार किया है. इसमें दोनों पक्षों को शुरूआत से आमने-सामने बैठाकर काउंसलिंग करने की अपेक्षा दोनों पक्षों को ऑनलाइन जोड़ा जाता है, इसमें दोनों पक्ष ज्यादा आसानी से अपनी बात रख पाते हैं. ऐसे में उन्हें थाने आने की जरूरत भी नहीं पड़ती, जिससे आमतौर पर दोनों पक्ष कतराते हैं. इसी तरह कई थानों में परामर्श केन्द्र की व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते थानों में पेंडिंग मामले बढ़ जाते हैं. ऐसे में जिन थानों में परामर्श केन्द्र नहीं है, वहां मामलों में मध्यस्थता आसान हो जाती है. मध्यस्थता के लिए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से 41 मध्यस्थ नियुक्त किए गए हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details