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CM की अध्यक्षता में हुई नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट्स के संचालक मंडल की बैठक - नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट्स के संचालक मंडल की बैठक

राजधानी भोपाल में सीएम की अध्यक्षता में नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट्स के संचालक मंडल की बैठक हुई, जिसमें बेसिन प्रोजेक्ट्स कंपनी लिमिटेड की अधिकृत अंशपूंजी राशि 50 करोड़ से बढ़ाकर 5 हजार करोड़ कर दी गई है.

Meeting of the Board of Directors of Narmada Basin Projects concluded under the chairmanship of CM
सीएम की अध्यक्षता में संपन्न हुई नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट्स के संचालक मण्डल की बैठक

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Published : Sep 29, 2020, 9:30 AM IST

भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट्स कंपनी लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक मंत्रालय में हुई. बैठक में राज्य मंत्री नर्मदा घाटी विकास विभाग भारत सिंह कुशवाहा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव नर्मदा घाटी आईसीपी केसरी और प्रमुख सचिव वित्त मनोज गोविल ने भाग लिया.

कंपनी के अंतर्गत विभिन्न परियोजनाओं के क्रियान्वयन में ऋण को और अधिक सहज बनाने के लिये नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट्स कंपनी लिमिटेड की अधिकृत अंशपूंजी राशि 50 करोड़ से बढ़ाकर 5 हजार करोड़ की गई है. साथ ही बैठक में 14 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अनुमोदन प्राप्त किया गया.

कंपनी ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं जैसे अपर नर्मदा परियोजना, नर्मदा क्षिप्रा बहुउद्देशीय परियोजना और बदनावर माइक्रो सिंचाई परियोजना और कुछ अन्य चालू परियोजना के क्रियान्वयन के लिये नाबार्ड से 7 हजार 500 करोड़ रूपये ऋण संबंधी प्रस्ताव पर अनुमोदन लिया है. इसी के साथ नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट्स कम्पनी और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए बैंक से 10 हजार करोड़ रूपये ऋण प्राप्त करने संबंधी प्रस्ताव अनुमोदित किये गए हैं.

स्टेट गारंटी फीस के संबंध में शासन के आदेशानुसार कंपनी को हरसाल 0.5 प्रतिशत ऋण राशि के विरुद्ध स्टेट गारंटी फीस चुकानी होगी. जिससे 11 विभिन्न परियोजनाओं की ऋण राशि 24 हजार करोड़ के खिलाफ लगभग 1500 करोड़ संपूर्ण ऋण के भुगतान पर देना होगा. वहीं ऋण राशि के विरुद्ध 0.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष गारंटी फीस को वन टाइम किया जाएगा.

इस दौरान यह भी बताया गया है कि कंपनी के सहज संचालन के लिये संचालक मंडल की उपसमिति, वित्तीय समिति के नाम से गठित की जाएगी, जो कंपनी के वित्तीय मामलों में आवश्यक परामर्श देगी. इसी के साथ एक अन्य उपसमिति परियोजना निगरानी समिति के नाम से गठित की जाएगी. यह समिति कंपनी के तकनीकी मामलों में आवश्यक सलाह और परामर्श देगी. इन दोनों समितियों के गठन से कंपनी का काम अधिक सहज और सुचारू रुप से होगा.

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