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बरकतउल्ला विश्वविद्यालय का 50वां स्थापना दिवस, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कही ये बात

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय का 50वां स्थापना दिवस समारोह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मनाया गया. वहीं पूर्व संध्या पर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुई, जहां उन्होंने नई शिक्षा प्रणाली को लेकर बात की.

Foundation Day of Barkatullah University celebrated through video conferencing
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मनाया गया

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Published : Aug 1, 2020, 11:44 AM IST

भोपाल। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस समारोह हर साल काफी हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता था. लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के कारण स्थापना समारोह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मनाया गया है. बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के 50 वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम में शामिल हुई.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आर जे राव ने स्वागत उद्बोधन दिया और विश्वविद्यालय की विकास यात्रा एवं भविष्य की चुनौतियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि बरकतउल्ला पहला विश्वविद्यालय है जिसने गुणवत्ता सुधार के लिए गुणवत्ता प्रबंधन की समग्र प्रक्रिया अपनाई है. नये पाठ्यक्रम लागू किए गए हैं, रूसा, यूजीसी से अनुदान भी प्राप्त किया है. इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर का स्पोर्टस कॉम्पलेक्स बनाने के प्रयास किए जा रहें हैं.

राज्यपाल ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी एवं उद्देश्यपूर्ण परिवर्तन आएगा. इससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर युवाओं के लिए प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण तैयार होगा, साथ ही स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों को ई-शिक्षा की जरूरतों के लिए डिजिटल कन्टेन्ट और क्षमता निर्माण से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के वैकल्पिक साधनों को सुनिश्चित करेगा. समस्त उच्च शिक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण व्यापक निकाय के रूप में 'भारत उच्च शिक्षा आयोग' के गठन से निर्णय लेने में तेजी आएगी, और पारदर्शिता भी बढ़ेगी.

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि संस्कार देने का कार्य ही शिक्षा है. नई शिक्षा नीति को अनेकता में एकता जैसे भारतीय संस्कृति के आदर्शो को शामिल करते हुए लागू किया जाए. उच्च-शिक्षा क्षेत्र के विद्वान माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा का भी मार्ग दर्शन करें. साथ ही 'ई लर्निग' प्रवेश, शुल्क, अनुदान और प्रशिक्षण संबंधी नई व्यवस्थाएं की जाए ताकी नई संस्थाओं का निर्माण सकारात्मकता के साथ किया जाए.

राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के अपने लाभ हैं. विश्वविद्यालयों ने इसका सफल उपयोग किया है. शिक्षकों की मदद करने और ई-लर्निंग को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षा की पहुंच, इक्विटी और गुणवत्ता में सुधार के लिये निरंतर कार्य करना होगा. ई-पाठशाला विविध ई-पुस्तकों आदि ऐसी ही शिक्षण सामग्री की पहुंच दूरस्थ अंचलों तक बनानी होगी.

राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान समय में सम्पूर्ण समाज को एक नई जीवन शैली अपनानी होगी. डिजिटल गतिविधियों को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करने के लिए तकनीक को उपयोगकर्ता के लिए सरल और सुविधा संपन्न बनाना होगा.

आज के समय में जरूरत इस बात की है कि ऐसी जीवनशैली के मॉडल्स के बारे में सोचा जाए, जो आसानी से सुलभ हों. जो संकट काल में भी कार्यालय, कारोबार, व्यापार किसी प्रकार के जनहानि के बिना त्वरित गति से आगे बढ़ सकें, गरीबों, सबसे कमजोर लोगों और साथ ही साथ हमारे पर्यावरण की देखरेख को प्रमुखता देते हों.

कोरोना संक्रमण सभी के सामने प्रोफेशनल और पर्सनल प्राथमिकताओं में संतुलन कायम करने की नई चुनौतियां लाया है. चाहे कुछ भी हो, फिटनेस और व्यायाम के लिए जरूर समय निकालें. अपनी शारीरिक और मानसिक तंदुरूस्ती को बेहतर बनाने के साधन के तौर पर योग का भी अभ्यास करें. राज्यपाल ने भोपाल के सपूत तथा महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रो. बरकतउल्ला भोपाली जिनके नाम पर विश्वविद्यालय की स्थापना हुई है. स्थापना दिवस के अवसर पर उनका सादर स्मरण कर नमन करते हुए 50 वें स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी.

इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्थापना दिवस का अवसर अतीत की उपलब्धियों पर गर्व और भविष्य की चुनौतियों के प्रति चिंतन का अवसर है. विश्वविद्यालय पर वंचित वर्ग जो महंगी शिक्षा नहीं प्राप्त कर सकता उनको प्रतियोगी वातावरण में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने की चुनौती और जिम्मेदारी है. इसके लिए निरंतर प्रयास जरुरी है.

वहीं नैक के कार्यकारी समिति के चेयरमेन वीएस चौहान ने कहा कि नई शिक्षा नीति शैक्षाणिक उपब्धियों के नये मानदंड स्थापित करने का स्वर्णिम अवसर है. उन्होंने कहा कि नीति पर गंभीरता से विचार करें. अच्छी नियत और नीति से क्रियान्वित करें.

मूलभूत परिवर्तनों को कैसे उपयोगी बनाया जाए इस पर चिंतन करें. मुड़कर देखें की क्या दिक्कतें और समस्याएं आई उनसे सबक लेकर भविष्य का पथ निर्देशन करें. दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ समयबद्ध लक्ष्य र्निधारित करे .

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