भोपाल। आयुर्वेद का दुनिया भर में ऐसा प्रभाव है कि भारत के साथ ही 80 देशों में आयुर्वेद की किताबों का ट्रांसलेशन कर उनकी छपाई हो रही है. जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है. यह कहना है पतंजलि के सह संस्थापक आयुर्वेद आचार्य बालकृष्ण का. ईटीवी भारत से खास बातचीत में बालकृष्ण ने आयुर्वेद से जुड़ी कई बातें साझा की.
80 देशों में आयुर्वेद की किताबों का हुआ अनुवाद
ईटीवी भारत से बात करते हुए आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आयुर्वेद भारतीय परंपरा का एक हिस्सा है, लेकिन इसका शुरुआती दौर में इतना प्रचार-प्रसार नहीं किया गया. जितना करने की जरूरत थी. अंग्रेजी राज्यों के कारण यह कई राज्यों तक सीमित रह गया. पंचकर्म की अगर बात होती है तो सिर्फ केरल ही याद आता है. ऐसे में बाबा रामदेव ने मिलकर इस सोच को आगे बढ़ाया और निर्णय किया की आयुर्वेद को देश ही नहीं दुनिया भर में पहुंचाएंगे. बालकृष्ण भोपाल में आयुर्वेद पर चल रही है राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर आए थे. इस दौरान ईटीवी भारत से खास चर्चा में बालकृष्ण ने कहा कि आयुर्वेद की किताबों का अब 80 देशों में अनुवाद हो चुका है. जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है. इसे आयुर्वेद की जीत ही कहेंगे.