1000 साल तक राम मंदिर बुलंद रहे, छतरपुर के लव कुश पत्थर से तैयार हुई खास किस्म की नींव
Luv Kush Stone Ram Mandir : अयोध्या राम मंदिर के निर्माण में एमपी का भी योगदान है. जी हां एमपी के लवकुश नगर के पत्थरों से अयोध्या राम मंदिर की नींव तैयार की गई है. छतरपुर के तत्कालीन कलेक्टर ने इस विषय से जुड़ी जानकारी ईटीवी भारत को दी.
भोपाल। अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण की नींव मध्यप्रदेश के मजबूत पत्थरों पर तैयार हुई है. भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए निर्माण एजेंसी को मंदिर की नींव के लिए ऐसे पत्थरों की तलाश थी, जो एक हजार साल तक टिकाऊ हो. टेस्टिंग के बाद मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के लवकुश नगर तहसील के पत्थरों को चुना गया. इसके बाद यहां से 1 हजार ट्रक गिट्टी अयोध्या भेजी गई. इन मजबूत गिट्टी से ही भव्य राम मंदिर का बेस तैयार किया गया. जिस पर भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हुआ है.
देश भर से बुलाए गए थे पत्थरों के सैंपल
कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद निर्माण का काम एलएंडटी एजेंसी ने अपने हाथों में लिया. 2021 में रामलला मंदिर का बेस तैयार करने के लिए ऐसे क्रेशर गिट्टी की जरूरत थी, जिसकी लाइफ 1 हजार सालों तक हो. बताया जाता है कि इसके लिए एजेंसी ने देश के अलग-अलग स्थानों से पत्थरों की सैंपलिंग कराई. इसमें मध्य प्रदेश के लवकुश नगर के पत्थरों का भी सैंपल लिया गया था. जांच में लवकुश नगर के पत्थरों को बेस तैयार करने के लिए सबसे उपयुक्त समझा गया. इसके बाद यहां के ग्राम दिदवारा में संचालित दो क्रेशरों से 1 हजार से ज्यादा गिट्टी को अयोध्या भेजा गया.
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष ने किया था फोन
उस वक्त छतरपुर में कलेक्टर रहे और अब सामाजिक विभाग में उप सचिव शीलेन्द्र सिंह बताते हैं कि एक दिन अचानक उनके पास राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्र का फोन आया. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम मंदिर निर्माण का आधार बनाने के लिए आपके यहां के पत्थरों की आवश्यकता है. इसके लिए करीबन 2 लाख 70 हजार मीट्रिक टन गिट्टी की जरूरत है. पहले तो मुझे भरोसा ही नहीं हुआ कि छतरपुर जिले के पत्थरों को राम मंदिर निर्माण के लिए चुना गया है. आग्रह किया गया कि इन पत्थरों को जल्दी से जल्दी भिजवाने की व्यवस्था की जाए, उस समय कोरोना का दूसरा चरण चल रहा था, इसलिए थोड़ी समस्या आई लेकिन इसके बाद भी संबंधित विभाग के सभी अधिकारियों को बुलाकर बैठक की गई.
क्रशर संचालकों से बुलाकर उनसे चर्चा की गई और उसके बाद करीब 1000 ट्रक गिट्टी को अयोध्या भिजवाया गया. इतनी बड़ी मात्रा में गिट्टी उपलब्ध कराने में चार से पांच महीने लग गए. कई बार क्रेशर चालकों ने भी हाथ खड़े किए, लेकिन राम के नाम पर सब कुछ सरल होता चला गया. आईएएस अधिकारी शीलेंद्र सिंह कहते हैं कि मुझे खुशी है की राम मंदिर निर्माण में मध्य प्रदेश का बड़ा योगदान हुआ है. इस योगदान में थोड़ा सहभागी में भी बना हूं. राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा सहयोग के लिए प्रशंसा पत्र भी भेजा गया था.