भोपाल। कोरोना काल में जब सब कुछ उल्टा-पुल्टा सा नजर आ रहा है, तब एस्ट्रोलॉजी संबंधित खबरों में ग्रहों के वक्री होने की बात जानकर आम लोगों को ग्रहों के रिवर्स गियर में चलने का अंदाज लगता है, जबकि सामान्य विद्यार्थी भी जानता है कि सोलरसिस्टम में सभी प्लेनेट सूर्य की परिक्रमा एक ही दिशा में चलते हुए करते रहते हैं.
विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया है कि सभी ग्रह अपने ही पद पर चलते हुए सूर्य की परिक्रमा करते हैं. उनके चलायमान होने का अंदाजा लगाने के लिए उनके पीछे स्थाई रूप से दिखने वाले राशि तारामंडल को आधार माना जाता है. परिक्रमा करते हुए जब पड़ोसी ग्रह पृथ्वी के निकट आते हैं तो पृथ्वी की गति अधिक होने से उनके बगल में स्थित यह ग्रह पीछे छूटते नजर आते हैं अर्थात उनके बैकग्राउंड में वह तारामंडल देखने लगता है जो कुछ दिन पहले दिखा था. इससे लगता है कि ग्रह वापस पुराने तारामंडल में जा रहा है. सूर्य की परिक्रमा करते हुए अंडाकार पथ में यह पृथ्वी के निकट आते हैं, तब इनके वक्रीय होने या उल्टी चलने का आभास होता है.