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ग्रहों के वक्री होने से डरने की नहीं है जरूरत, ग्रहों में नहीं होता रिवर्स गियर- सारिका

सिस्टम में सभी प्लेनेट सूर्य की परिक्रमा एक ही दिशा में चलते हुए करते रहते हैं, फिर ग्रहों का वक्री हो जाना क्या होता है ? इस बात को विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने मॉडल के माध्यम से समझाया है.

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Published : May 18, 2020, 1:15 AM IST

Astrologer Sarika said that there is no need to be afraid of planetary retrograde
ग्रहों के वक्री होने से डरने की नहीं है जरूरत

भोपाल। कोरोना काल में जब सब कुछ उल्टा-पुल्टा सा नजर आ रहा है, तब एस्ट्रोलॉजी संबंधित खबरों में ग्रहों के वक्री होने की बात जानकर आम लोगों को ग्रहों के रिवर्स गियर में चलने का अंदाज लगता है, जबकि सामान्य विद्यार्थी भी जानता है कि सोलरसिस्टम में सभी प्लेनेट सूर्य की परिक्रमा एक ही दिशा में चलते हुए करते रहते हैं.

विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया है कि सभी ग्रह अपने ही पद पर चलते हुए सूर्य की परिक्रमा करते हैं. उनके चलायमान होने का अंदाजा लगाने के लिए उनके पीछे स्थाई रूप से दिखने वाले राशि तारामंडल को आधार माना जाता है. परिक्रमा करते हुए जब पड़ोसी ग्रह पृथ्वी के निकट आते हैं तो पृथ्वी की गति अधिक होने से उनके बगल में स्थित यह ग्रह पीछे छूटते नजर आते हैं अर्थात उनके बैकग्राउंड में वह तारामंडल देखने लगता है जो कुछ दिन पहले दिखा था. इससे लगता है कि ग्रह वापस पुराने तारामंडल में जा रहा है. सूर्य की परिक्रमा करते हुए अंडाकार पथ में यह पृथ्वी के निकट आते हैं, तब इनके वक्रीय होने या उल्टी चलने का आभास होता है.

एस्ट्रोलॉजी में शुक्र, शनि और बृहस्पति इसी सप्ताह वक्रीय बताए गए हैं, इसका कारण यह है कि अपनी राह में चलते समय पृथ्वी की मुलाकात इस समय इन ग्रहों से होने जा रही है और इनके वक्रीय हो जाने की बात के डर का आभास हो रहा है जबकि ग्रहों के उल्टे चलने जैसी बातों से डरना नहीं चाहिए.

उन्होंने बताया कि यदि मान लीजिए आप तेज गति से चलती कार में बैठे हैं और आप के आगे आपकी ही दिशा में कोई मोटरसाइकिल जा रही है तो जैसे ही आप उस मोटरसाइकिल से आगे निकलेंगे आपको ऐसा लगेगा कि वह उल्टा चल रहा है जबकि वास्तव में वह आपकी ही दिशा में आ रहा है.

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