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Ashad maas Shivratri 2021: मासिक शिवरात्रि पर ऐसे करें देवों के देव महादेव की पूजा

आषाढ़ मास की शिवरात्रि 8 जुलाई 2021 को है. इस दिन भोले बाबा की विशेष पूजा अर्चना का विधान है. इस बार दो ऐसे योग बन रहें हैं जो शुभ हैं और इस योग में पूजा करने का विशेष महत्व है.

Maasik Shivratri 2021
मासिक शिवरात्रि 2021

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Published : Jul 8, 2021, 6:24 AM IST

भोपाल।शिव निराकार है. जन्म और मृत्यु के बंधनों से शिव मुक्त हैं.आपत्ति काल में विनाशक के तौर पर अवतरित होते हैं. नीलकंठ बनकर जहर पी जाते हैं. कहते हैं देवों में देव महादेव बहुत सरल हैं. आसानी से रूठते हैं तो मान भी जाते हैं. भक्त गण कई जतन करते हैं. और हर मास ऐसे अवसर उपलब्ध होते हैं जब भगवान बम भोले को प्रसन्न करने का उद्योग किया जा सकता है.

हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि (Ashad maas Shivratri 2021) मनाई जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 08 जुलाई 2021, दिन गुरुवार को है. पुराणों के अनुसार , मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा अर्चना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

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इस बार का संयोग कि बन रहें हैं दो योग

इस बार संयोग ऐसा है कि मासिक शिवरात्रि (Ashad maas Shivratri 2021)पर दो योग बन रहें हैं. एक वृद्धि और दूसरा ध्रुव योग. हिंदू पंचांग के अनुसार, वृद्धि योग शाम 04 बजकर 20 मिनट तक रहेगा.इसके बाद ध्रुव योग लग जाएगा। ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों योगों को बेहद शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इन योग में किये गए कार्य सफल होते हैं.

ऐसे करें मासिक शिवरात्रि पूजन - (Pujan Vidhi Of Masik Shivratri )

श्रद्धालुओं को शिवरात्रि की रात को जाग कर शिव आराधना करनी चाहिए. स्नान आदि के बाद किसी मंदिर में जा कर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करनी चाहिए. रुद्राभिषेक की भी परम्परा है.पूजा के दौरान शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि से करें. शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं. अब आप भगवान शिव की धूप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें. शिव पूजा करते समय शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें. इसके बाद शाम के समय फल खा सकते हैं लेकिन व्रती को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए. अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना व्रत खोलें.

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