पन्ना। लाइलाज सिलिकोसिस बीमारी से मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. शनिवार को इस बीमारी से जूझ रहे एक और मजदूर की मौत हो गई. मजदूर हबीब खान 2010 से सिलिकोसिस बीमारी पीड़ित थे, जिन्होंने जिला अस्पताल में अंतिम सांस ली. मजदूर की मौत से परिजन सदमे में हैं और सरकार व जिला प्रशासन से परिजनों ने सहायता राशि उपलब्ध कराने की मांग की है.
पन्ना के अधिकतर मजदूर पत्थर खदानों में काम कर अपना भरण-पोषण करते हैं. क्योंकि पन्ना इसके अलावा और कोई रोजगार के संसाधन मजदूरों के लिए उपलब्ध नहीं हैं. जहां काम करने से लगातार वे सिलिकोसिस से पीड़ित हो रहे हैं. लेकिन इन मजदूरों के स्वास्थ्य की चिंता ना तो जिला प्रशासन को है और ना ही जिले के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को.
ऐसे होता है सिलिकोसिस
सालों तक पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूरों के फेफड़ों में पत्थरों की धूल सांस के माध्यम से पहुंचकर जमने लगती है. धीरे-धीरे फेफड़े पत्थर जैसे कठोर हो जाते हैं. इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज खोजा नहीं जा सका है. पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूर 35 से 40 साल में ही वृद्ध दिखने लगते हैं.
45 से 50 साल की आयु में अधिकांश की मौत हो जाती है. खदानों में काम करने वाले मजदूरों के सेहत की जांच नहीं कराई जाती है. एनजीओ के दबाव में बीते साल कुछ मजदूरों की सेहत की जांच की गई थी, जिसमें एक दर्जन से अधिक सिलिकोसिस की आशंका जताई गई थी.