भोपाल।महोदय! भगवत: अमेरिकादेशे स्वागतम् अस्ति. भारत के किसी संस्कृतभाषी विश्वविद्यालय में नहीं बल्कि अमेरिका में अगर आपका ऐसे स्वागत हो तो हैरत में पड़ जाएंगे ना आप, लेकिन वाकई दुनिया में संस्कृत का डंका इसी तरह से बज रहा है. संस्कृत के देश दुनिया में प्रचार के लिए शुरु की गई संस्था संस्कृत भारती ने अमरिका के वर्जीनिया में संस्कृत का नया कार्यालय खोला है. इसके पहले अमरिका में ही संस्कृत के 40 केन्द्रों में संस्कृत संभाषण सिखाया जा रहा है. जर्मनी में विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग है और लंदन के कई स्कूलों में संस्कृत पाठ्यक्रम का हिस्सा है. वहीं मध्यप्रदेश में ही संस्कृत अध्यापकों के पद खाली हैं. गुरुकुल सरकारी अनुदान ना मिलने से बंद हो रहे हैं. posts of sanskrit teachers vacant in mp, new office of sanskrit language opens in virginia
वर्जीनिया में नए संस्कृत केन्द्र की शुरुआत: दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत दुनिया के हर कोने तक पहुंचे, इसी कोशिश में संस्कृत भारती ने अमरिका समेत दुनिया के 21 देशों में संस्कृत भारती के केन्द्र शुरु किए. अकेले अमरिका में ही 1995 से संस्कृत भारती के केन्द्रों में कार्य शुरु हुआ. ये वो केन्द्र हैं, जहां सरल भाषा में संस्कृत संभाषण सिखाया जाता है. इसी कड़ी में वर्जीनिया में संस्कृत का नया केन्द्र शुरु किया गया है. 1981 में शुरू हुआ संस्कृत के प्रचार के लिए संस्कृत भारती आज पूरे विश्व में संस्कृत के प्रसार के लिए जाना जाता है. संस्कृत भारती कार्यकर्ता विनय सिंह राजपूत कहते हैं 21 देशों में चार गल्फ कंट्रीज भी शामिल हैं. जहां हम संस्कृत की पुस्तिकाएं भेजते हैं, लेकिन जर्मनी और लंदन दो देश हैं. जहां बाकायदा संस्कृत विभाग हैं. लंदन के विद्यालयों में पाठ्यक्रम का हिस्सा संस्कृत है. अमरिका, अफ्रीका और जर्मन ये तीन देश हैं, जहां संस्कृत को लेकर काफी रुझान है. राजपूत कहते हैं संस्कृत भारती का आग्रह तो सभी देशों में संस्कृत के प्रचार प्रसार का है, लेकिन कई देशों में उस तरह से राजकीय प्रयास दिखाई नहीं देते.