भोपाल।भारत निर्वाचन आयोग ने मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव की तारीख का एलान कर दिया है. ये उपचुनाव मध्यप्रदेश में सत्ता किसकी होगी, यह तय करेगा. जिन परिस्थितियों में उपचुनाव हो रहे हैं. उनमें कमलनाथ सरकार को हटाकर सत्ता पर काबिज हुई बीजेपी लगातार आरोप लगा रही है कि, 15 महीने में कमलनाथ सरकार ने प्रदेश को बर्बाद कर दिया और जनता के साथ वादाखिलाफी की. वहीं कांग्रेस भी लगातार बीजेपी के आरोपों का जवाब दे रही है.
उपचुनाव में अपनी जीत दर्ज कराने के लिए दोनों ही पार्टियां एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. जिसे लेकर राजनीति भी गरमाई हुई है. दोनों ही पार्टियां लगातार एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रही हैं. बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि, कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने 15 महीनों में प्रदेश को बर्बाद कर दिया, जिसका जवाब कांग्रेस ने बीजेपी सरकार के 15 सालों के कामकाज पर सवाल खड़े करके दिया है. कांग्रेस बीजेपी और शिवराज सिंह को चुनौती दे रही है कि, 15 साल की भाजपा की सरकार और 15 महीने की कांग्रेस सरकार पर खुले मंच पर बहस करा दी जाए.
उपचुनाव में विकास का मुद्दा गुम
प्रदेश की राजनीति में मुद्दों को लेकर राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि, इस चुनाव में विकास का मुद्दा गुम हो गया है. सिर्फ एक दूसरे पर कीचड़ उछाला जा रहा है, फिर चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी सब पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं.
कांग्रेस के 15 महीनों के कार्यकाल पर सवाल
मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार, सिंधिया समर्थकों की बगावत के कारण गिर गई थी. कांग्रेस से बगावत को लेकर सिंधिया और उनके समर्थकों का आरोप रहा है कि, कमलनाथ सरकार ने वचन पत्र में जो वादे किए थे, वो निभाए नहीं हैं, इसलिए उन्हें जनता के हक में खड़ा होना पड़ा और कांग्रेस से बगावत करनी पड़ी. वहीं उपचुनाव के हालात बनते ही भाजपा लगातार कमलनाथ सरकार के 15 महीने के कार्यकाल पर सवाल खड़े कर रही है और अपने 15 साल के कार्यकाल को मध्यप्रदेश का स्वर्णिम अध्याय बता रही है.
बीजेपी ने लगाए कई आरोप
बीजेपी का कहना है कि, चाहे कर्जमाफी हो, बेरोजगारों को रोजगार देने का मामला हो या फिर कन्यादान योजना हो, कांग्रेस ने वचन पत्र में जो भी वादे किए थे, उन सब बातों को लेकर वादाखिलाफी की है. 15 महीने की कमलनाथ सरकार में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है. बीजेपी के इन आरोपों पर कांग्रेस जहां अपनी उपलब्धियां बताकर जवाब दे रही है, तो वहीं दूसरी तरफ शिवराज सरकार के 15 साल के कार्यकाल की नाकामियों का काल बता रही है. कांग्रेस का कहना है कि, 15 साल में प्रदेश की आर्थिक स्थिति को बदहाल कर सत्ता से बेदखल हुई शिवराज सरकार ने जमकर भ्रष्टाचार किया है, चाहे व्यापमं घोटाल हो या ई- टेंडर घोटाला. बीते छह महीने में कोरोना काल में भी उन्होंने जमकर भ्रष्टाचार किया है.
राजनीतिक विश्लेषकों का ये हैं मानना
दूसरी तरफ मौजूदा राजनीति को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, कोरोना के चलते जमीन पर चुनावी माहौल नदारद है. लोगों में ना के बराबर उत्साह है. खास बात ये है कि, इस चुनाव से विकास का मुद्दा गायब है और दोनों दल एक दूसरे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं, इन आरोपों से दोनों ही पार्टियां बची नहीं हैं और जनता सब जानती है.