भोपाल। प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो चुके प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने जिलों में अपनी पकड़ को मजबूत करने की शुरुआत जिलों में प्रभारी नियुक्त करने के साथ की है. पीसीसी चीफ कमलनाथ ने प्रदेश में संगठन स्तर पर 56 जिला प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है. सबसे अहम विंध्य इलाका है, जहां अजय सिंह को दरकिनार करते हुए कमलनाथ ने अपने करीबियों को जिम्मेदारी दी है. रीवा जिले की कमान भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को दी गई है. वहीं अजय सिंह के प्रभाव वाले सीधी जिले में सईद अहमद को प्रभारी बनाया गया है. इस तरह से विंध्य में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की अनदेखी कर उनके कद को कम करने की कोशिश की गई है.
कांग्रेस का ही होगा नुकसान
विध्य में कांग्रेस की हालिया राजनीति पर राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार गिरीश उपाध्याय का मानना है कि कांग्रेस में बड़े नेता एक-दूसरे को नाराज क्यों करना चाहते हैं. कमलनाथ का बयान विंध्य के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बदनाम करने का बयान है. हार-जीत तो चुनाव में होती रहती है. कार्यकर्ताओं की भूमिका को कमतर नहीं आंकना चाहिए. इससे कांग्रेस का नुकसान ही होगा.
कांग्रेस का ही होगा नुकसान कांग्रेस एकजुट, कहीं कोई आपत्ति नहींपीसीसी चीफ की तरफ से जिलों में नियुक्त प्रभारियों की जिम्मेदारी, प्रदेश कांग्रेस दफ्तर और जिला इकाइयों के बीच समन्वय बनाने का होगा. संगठन को मजबूत करने के साथ ही ये प्रभारी, पार्टी नेताओं के काम-काज की रिपोर्ट पीसीसी को सौंपेंगे. इधर कांग्रेस प्रवक्ता अजीत सिंह भदौरिया का कहना है कि प्रदेश के कांग्रेस जन का संकल्प है कि 2023 में कमलनाथ जी को फिर मुख्यमंत्री बनाना है.साथ ही कहा कि प्रभारियों की नियुक्ति पर कहीं किसी भी नेता को कोई आपत्ति नहीं है. ये बात तय है कि भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कमलनाथ जी के नेतृत्व में कांग्रेस एकजुट है.
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ये हुई थी बयानबाजी
मैहर दौरे पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा था कि अगर विंध्य में कांग्रेस कार्यकर्ता और मेहनत करते, तो ज्यादा सीटें आतीं और हमारी सरकार नहीं गिरती. इसके बाद सतना दौरे पर कांग्रेस नेता अजय सिंह ने कहा था कि कमलनाथ विंध्य का अपमान कर रहे हैं. सरकार गिरने का कारण विंध्य नहीं, बल्कि खुद कमलनाथ थे. वे चाहते तो सरकार बची रहती.
हो सकते हैं बदलाव
प्रदेश कांग्रेस में अंतर्कलह का खामियाजा पहले भी पार्टी ने भुगता है. इन हालातों में अब एक बार फिर कांग्रेस को एकजुट करने की कोशिशों में जुटे पीसीसी चीफ को आगे आने वाले दिनों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में पार्टी संगठन में कुछ बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं.