भोपाल। विश्व की सबसे बड़ी भीषण औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक भोपाल गैस कांड को 36 साल बीत गए हैं. इतना लंबा वक्त बीतने के बाद भी शहर में स्थित यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री के परिसर में दफन जहरीले कचरे को अब तक नहीं हटाया जा सका. करीब पांच साल पहले इस जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाया गया, लेकिन इसके बाद से ही अब तक इसकी रिपोर्ट ही नहीं आ सकी. जहरीले कचरे को जलाने को लेकर स्थानीय स्तर पर हुए कड़े विरोध के बाद पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया.
10 टन कचरा जलाया, रिपोर्ट आज तक नहीं मिली
2 और 3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात हुए गैस कांड में तीन हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग आज भी गैस कांड के दंश को झेल रहे हैं. गैस कांड के बाद यूनियन कार्बाईड फैक्ट्री परिसर में मौजूद साढे़ तीन सौ टन कचरा फैक्ट्री में ही दफन है, जिसको नष्ट करने को लेकर अंतिम निर्णय आज तक नहीं हो पाया है. हालांकि, वर्ष 2015 में यूनियन कार्बाईड की मालिक कंपनी डाउ केमिकल के कारखाने में पड़े 10 टन कचरे को पीथमपुर स्थित एक कम्पनी में नष्ट करने के लिए भेजा गया. इसके बाद से ही पूरा मामला अटक गया है. कचरा जलाने के पर्यावरण पर किस तरह के दुष्प्रभाव पड़े और कचरे को किस हद तक नष्ट किया जा सका, इसकी रिपोर्ट ही तैयार नहीं हो सकी. भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन के सदस्य सतीनाथ षडंगी कहते हैं कि पूरा मामला केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बीच अटका हुआ है केंद्र चाहता है कि इसकी प्रक्रिया स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पूरी करे.