भोपाल/पोकरण. वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से एक परिवार के सभी सदस्य काल के गाल में समा गए. ऐसे में घर में अकेली बची बेसहारा वृद्ध महिला. महिला का पूरा घर-परिवार उसकी आंखों के सामने देखते-देखते उजड़ गया. इससे आहत 90 वर्षीय महिला बोरिया बिस्तर समेट कर बाबा के दरबार पहुंची है. और भगवान से खुद को उठा लेने की अरदास लगा रही है.
मध्यप्रदेश के रतलाम की रहने वाली 90 वर्षीय बुजुर्ग महिला लक्ष्मीबाई का भरा पूरा परिवार था. बेटा, बहु, पोते के अलावा एक बेटी भी थी. कोरोना संक्रमण के कारण एक एक करके सब खत्म हो गए. ऐसे में वह बदहवास सी हो गई है. अपनी आंखों के सामने पूरे परिवार को दम तोड़ते देख उसका मानसिक संतुलन भी बिगड़ गया है. परिवार के अन्य सदस्यों ने भी उससे काफी दूरी बना ली थी. अब वह इस कदर टूट गई है कि जीना भी नहीं चाह रही.
90 साल की वृद्धा रह गई अकेली पढ़ें:Special: कोरोना काल में कर्म को धर्म मानकर मरीजों की सेवा में जुटीं नर्सें
ट्रेन में बैठकर बुजुर्ग महिला रामदेवरा पहुंच गई है. राम सरोवर तालाब घाट के पास पेड़ के नीचे अपना बोरिया बिस्तर रख कर वह भूखी-प्यासे बैठी है. दुख को साझा करते हुए कहा कि अब इतने दर्द व दुख सहन करते करते थक चुकी हुं. उसका आखिरी सहारा बाबा रामदेवरा हैं. इसलिए रतलाम से रामदेवरा आई है ऐसे में वह प्रार्थना कर रही है कि बाबा अपने इस पावन स्थान पर उसे मोक्ष प्रदान कर करें. उसकी दुख भरी व्यथा सुनकर लोगों का दर्द भी छलक उठ रहा है.
ETV भारत ने महिला की माली हालत को देखते हुए उसे कुछ आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के साथ ही खाने-पीने की वस्तुएं दी हैं. उसे सांत्वना दी की इस उम्र में वह हौसला और हिम्मत रख कर अपनी जिंदगी जिए. रामदेवरा बाबा उनकी सहायता अवश्य करेंगे. कोरोना की दूसरी लहर ने देशभर में ऐसी तबाही मचाई है कि घर का घर तहस-नहस हो गया है.