भोपाल| प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के साथ ही पिछले 28 दिनों से मंत्रिमंडल गठन को लेकर इंतजार किया जा रहा था, जिसे आखिरकार पूर्ण किया गया है. इसे मिनी कैबिनेट के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि इस मंत्रिमंडल में केवल 5 मंत्री बनाए गए हैं. कांग्रेस को प्रदेश की सत्ता से बेदखल करने में अहम भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है, लेकिन मंत्रिमंडल गठन किए जाने के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर से बीजेपी पर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस का कहना है कि, दो दल बदलुओं को मंत्री बनाकर बाकी अन्य नेताओं के साथ बीजेपी ने धोखे की शुरुआत की है.
शिवराज के मिनी कैबिनेट की पहली बैठक मंत्रिमंडल से कई नाम नदारद
कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि, प्रदेश सरकार के द्वारा मंत्रिमंडल का गठन किया गया है, जिसे लेकर कांग्रेस लंबे समय से मांग कर रही थी. एक माह बाद मंत्रिमंडल का गठन हुआ है, लेकिन इसमें बीजेपी के जो पहली पंक्ति के नेता थे, जो वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं, जो ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ हुआ करते थे, जिन्होंने पार्टी के लिए लंबे समय तक अपनी सेवाएं दी हैं, उन सभी के नाम इस मंत्रिमंडल से नदारद रहे हैं.
मंत्रिमंडल गठन पर कांग्रेस ने साधा निशाना शपथ में कई दिग्गज नेता हुए शामिल
उन्होंने कहा कि, मंत्रिमंडल की शपथ के दौरान पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह, पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला, विजय शाह, यशोधरा राजे सिंधिया, राजेंद्र सिंह, पारस जैन और संजय पाठक से लेकर अरविंद भदौरिया जैसे नेताओं के नाम नदारद रहे हैं. बड़ा आश्चर्य तो तब हुआ, जब अवसरवादी नेता तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को शामिल किया गया, जिनका बीजेपी के लिए कोई योगदान नहीं है.
मंत्रिमंडल में दल बदलुओं को किया शामिल
उन्होंने कहा कि, बीजेपी में अब नई शुरुआत हो चुकी है कि, वहां पर वर्षो से संघर्ष करने वाले नेता घर बैठ गए और अवसरवादी नेता जो दूसरे दल से आए हैं, उन्हें कैबिनेट में शामिल कर लिया गया. इस मंत्रिमंडल में केवल दो ही दलबदलुओं को शामिल किया गया है, बाकियों का आखिर क्या दोष था, उन लोगों के साथ बीजेपी ने धोखे की शुरुआत कर दी है.
बीजेपी में नए संघर्ष की शुरुआत
नरेंद्र सलूजा ने कहा कि, मंत्रिमंडल में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है और ना ही सभी क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया है. कोरोना जैसी विषम परिस्थितियों के बीच मंत्रिमंडल बनाया गया है और वह भी 28 दिनों के बाद तो कम से कम 28 लोगों को शामिल किया जाना चाहिए था. लेकिन भाजपा में अब एक नए संघर्ष की शुरुआत हो चुकी है.