भोपाल। मध्य प्रदेश के जंगलों में आने वाले समय में जल्द ही अफ्रीका के चीता नजर आएंगे. इन चीतों के पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)की एक टीम भेजी है. वन्य जीव संस्थान के एक्सपर्ट की टीम ने एमपी के अभ्यारण का दौरा पूरा कर लिया है. एक्सपर्ट की टीम ने मंदसौर जिले के गांधी सागर अभ्यारण, शिवपुर जिले के कूनो पालपुर नेशनल पार्क की वन्य परिस्थितियों का निरीक्षण किया है. एक्सपर्ट की टीम रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को सौंपेगी.
एमपी में जल्द दिखेगा अफ्रीकी चीता, कूनो- बांधवगढ़ तैयार एमपी में दिखेगा अफ्रीकन चीता
प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह का कहना है जल्द ही अफ्रीकन चीता मध्यप्रदेश की धरती पर नजर आएगा. भारत सरकार ने अफ्रीका टीम भेजी है, और जल्द ही कूनो सफारी या बांधवगढ़ नेशनल पार्क में अफ्रीकन चीता देखने को मिलेगा. इसके साथ ही मध्य प्रदेश में सफारी, अभ्यारण्य और नेशनल पार्क बनेंगे. विजय शाह का कहना है मध्यप्रदेश शासन को, वन विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों का धन्यवाद देना चाहिए. आज भी मध्यप्रदेश में 526 टाइगर हैं. जिसके चलते मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है. मध्यप्रदेश में इतने टाइगर है कि बाधवगढ़, पेंच और कान्हा में जितना इलाका है उससे दो गुना टाइगर हो गए हैं, कोई भी टाइगर 10 से 12 साल से ज्यादा जिंदा नहीं रहता है. हमने सागर, गांधी सागर और नुरादेही में हिरणों को शिफ्ट किया है.
नए सफारी अभ्यारण और नेशनल पार्क बनाने की तैयारी
वन मंत्री विजय शाह ने कहा कि टाइगरों की संख्या ज्यादा हो गई है, और उनके लिए स्थान कम है. ऐसे में आपस में द्वंद होने लगा है. इसके लिए अब सरकार नए सफारी अभ्यारण और नेशनल पार्क बनाने की तैयारी में है. यह कब तक बनकर तैयार होगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इसमें थोड़ा वक्त लग सकता है. इसके साथ ही इस टाइगर की मौत भी सरकार के लिए एक चिंता का विषय है, पिछले डेढ़ महीने में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 3 वयस्क और दो शावकों सहित पांच की मौत हो चुकी है और कुल 11 महीने में पूरे प्रदेश में 25 बाघों की मौत हुई है.
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गांधी सागर अभ्यारण की परिस्थितियां ज्यादा अनुकूल
सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारत सरकार की चीता परियोजना को अनुमति मिलने के साथ ही, भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा निरीक्षण कार्य पूरा कर लिया गया है. मध्य प्रदेश के गांधी सागर अभ्यारण और कूनो पालपुर अभ्यारण को चीतों कि वन्य परिस्थितियों के हिसाब से अनुकूल माना जाता है. दोनों ही अभयारण्यों में छोटे जानवर भरपूर मात्रा में हैं. गांधी सागर अभ्यारण में लगभग 2 साल पहले हुई गिनती में 50 तेंदुए मिले थे. इसके अलावा लकड़बग्घे, जंगली लोमड़ी भी बड़ी तादाद में हैं. पक्षी गणना में 225 तरह के पक्षियों की प्रजाति यहां मिली हैं. हिरण प्रजाति के चीतल को भी यहां बताया जा रहा है. चीतों को बसाने में गांधी सागर अभ्यारण सबसे मजबूत बताया जा रहा है. 368 वर्ग किलोमीटर में फैले अभ्यारण में घने जंगल और कई बड़े जलाशय मौजूद हैं.