भोपाल।फिल्म मेकिंग को फिल्मकारों के लिए आसान बनाने में मध्यप्रदेश एक अग्रणी राज्य बनता जा रहा है. फिल्म शूटिंग परमिशन को लोक सेवा गारंटी एक्ट के अंतर्गत मात्र 15 दिन में प्रदाय करने के साथ इमरजेंसी में ऑफलाइन परमिशन भी जारी किए जाने की सुविधा भी यहां है. फॉरेन प्रोडक्शन हाउस भी इतनी ही आसानी के साथ सीधे मध्यप्रदेश आकर फिल्म की शूटिंग कर सकता है. प्रदेश में शूटिंग, अधोसंरचना विकास में निवेश एवं स्थानीय कलाकारों की भागीदारी के अवसरों को तलाशने के लिए प्रसिद्ध प्रोडक्शन हाउस के प्रतिनिधि, प्रोड्यूसर, डायरेक्ट और एक्टर्स का दल भोपाल आया हुआ है.
किसी वर्ग समुदाय की भावन न हो आहत: प्रसिद्ध प्रोड्युसर एवं एक्टर और सेंसर बोर्ड की मेंबर वाणी त्रिपाठी टीकू ने ETV भारत संवाददाता आदर्श चौरसिया से खास बातचीत की. आदिपुरुष को लेकर जिस तरह से कॉन्ट्रोवर्सी चल रही है और तमाम जगह इसका विरोध हो रहा है. इसको लेकर वाणी ने फिल्म का नाम तो नहीं लिया, लेकिन सेंसर बोर्ड के सदस्य होने के नाते यह जरूर कहा कि जिस तरह से फिल्मों का बायकॉट और कॉन्ट्रोवर्सी की बात सामने आती है. उसको देखते हुए यह इसलिए हो रहा है, क्योंकि जब दर्शक अपनी जेब ढीली कर सिनेमा खिड़की तक जाएगा और उसे वह चीज नहीं मिलेगी, तो इस तरह का विरोध जरूर होगा. यहां वाणी ने फिल्मीकरों को सलाह देते हुए कहा कि कोई दृश्य किसी वर्ग, समुदाय को आहत करती है तो ऐसा विरोध होता है. इसलिए जिम्मेदारी निर्माता और फिल्मेकर्स की है, कि ऐसे दृश्य और पटकथा का ध्यान रखे कि किसी भी वर्ग या समुदाय की भावना आहत नहीं होनी चाहिए.
कूड़ा बनना बंद हो तो दिखना भी बंद होगा: वाणी से जब पूछा गया कि कई फिल्म्स होती है, जिनको लेकर एक माहौल बनाया जाता है और विवाद की स्थिति भी होती है. द केरल स्टोरी और कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्म से क्या समाज में परिवर्तन आ रहा है. इस पर वाणी का कहना था कि फिल्म मेकर वही चीजें बनाते हैं जो दर्शक देखेगा. 2 साल कोविड के समय सिनेमा बंद रहा तो दर्शक ने OTT का सहारा लिया. जब एक समय आइटम सॉन्ग सुनने में होते थे, उसकी मैं भी खिलाफत करती थी, लेकिन आज के समय में हर फिल्म में आइटम सॉन्ग होते हैं. वाणी ने साफ तौर पर कहा कि कूड़ा बनना बंद होगा, तो कूड़ा देखना भी बंद होगा. वाणी ने कहा कि सेंसर बोर्ड मेंबर होते हुए वह भी कई फिल्मों और पटकथा को नोटिस करती है, लेकिन वह अकेली इसमें मेंबर नहीं है. उनके अलावा 8 लोग और भी हैं. जो मिलकर निर्णय लेते हैं. आज का जो सिनेमा है, वह नई टेक्नोलॉजी के साथ रियल और ओरिजिनल फिल्म के दौर पर चल रहा है.