मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

भोपाल गैस त्रासदीः मौत की नींद सोकर भी हरीश धुर्वे ने बचाई थी हजारों की जान

भोपाल गैस त्रादसी के दौरान स्टेशन मास्टर हरीश धुर्वे ने हजारों लोगों की जान बचाई थी. इतना ही नहीं लोगों की जान बचाते-बचाते धुर्वे ने खुद अपनी जान गंवा दी थी.

By

Published : Dec 2, 2019, 9:03 PM IST

Updated : Dec 2, 2019, 11:36 PM IST

bhopalgastragedy
भोपाल गैस त्रासदी

भोपाल। साल 1984 के दिसंबर महीने की 2-3 तारीख की दरम्यानी रात भोपाल शहर गैस चेंबर बन गया था, चारों तरफ लाशें बिछी थीं, चीख न सिसकी बस चारों तरफ मौत का सन्नाटा पसरा था क्योंकि सांसों में मौत घुली थी, उस वक्त कोई किसी को बचाने वाला नहीं था, जो मौत के चेंबर में था, उसमें किसी का भी जिंदा बचना नामुमकिन था, लेकिन कुछ ऐसे भी नायक थे, जिन्होंने लोगों को मौत के चेंबर तक पहुंचने से पहले ही रोक लिया था.

जब हजारों लोग मौत से जंग लड़ रहे थे, तब भोपाल के स्टेशन मास्टर हरीश धुर्वे की समझ ने उन्हें हजारों लोगों का मसीहा बना दिया था, जिन्हें उन्होंने मौत के मुंह में जाने से बचा लिया था और हजारों यात्रियों को लेकर आ रही ट्रेन को मौत के चेंबर तक पहुंचने से पहले ही ब्रेक लगवा दिया था और उनकी सूझबूझ से हजारों यात्रियों की जान बच गई, जिसकी तस्दीक उनके सहयोगी रहे कर्मचारी खुद ही कर रहे हैं कि कैसे हरीश धुर्वे अपनी शहादत देकर भी हजारों लोगों को जीवन दे गए.

भोपाल गैस त्रासदी
2-3 दिसंबर की रात जब यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से मिथाइल आइसो साइनाइड का रिसाव शुरू हुआ तो इसने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया, लेकिन जैसे ही स्टेशन मास्टर हरीश धुर्वे को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने ट्रेनों को भोपाल के बाहर ही रोकवा दिया.भोपाल गैस त्रासदी ने पूरी दुनिया को अंदर तक झकझोर दिया था, जिसमें करीब 25000 लोगों की जान चली गई थी, जबकि आधिकारिक आंकड़ों में भी हजारों लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. इस त्रासदी के भले ही 35 साल बीत चुके हैं, लेकिन जख्म अभी तक भरे नहीं हैं.
Last Updated : Dec 2, 2019, 11:36 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details