भोपाल।कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर देशभर में 21 दिनों का लॉकडाउन है, लेकिन यह लॉकडाउन खासतौर पर गरीबों,मजदूरों और हाईवे पर फंसे लोगों के लिए मुसीबत बन गया है. राजधानी भोपाल में भी छत्तीसगढ़ के करीब 87 मजदूर ऐसे हैं जो काम करने भोपाल आए थे, लेकिन अब लॉकडाउन के चलते यहीं फंस कर रह गए हैं. इनके पास में न रुपए हैं ना राशन है और ना ही इन मजदूरों को कोई सरकारी मदद मिल रही है.
गरीबों के लिए लॉकडाउन बना मुसीबत, राजधानी में फंसे छत्तीसगढ़ के 87 मजदूर - भोपाल में कोरोना संकट
लॉकडाउन गरीबों,मजदूरों और हाईवे पर फंसे लोगों के लिए मुसीबत बन गया है. राजधानी भोपाल में भी छत्तीसगढ़ के करीब 87 मजदूर ऐसे हैं जो काम करने भोपाल आए थे.
एक सामाजिक संगठन को जब इन फंसे हुए मजदूरों की जानकारी मिली तो संगठन ने इनके दोनों वक्त के खाने का जिम्मा उठाया. लेकिन अब टोटल लॉकडाउन के बाद पिछले 2 दिनों से इन मजदूरों को खाना भी नहीं मिल पा रहा है. जिस ठेकेदार के पास यह मजदूर काम कर रहे थे, उसने भी महज चावल देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. मजदूरों का कहना है कि वह वापस अपने घर जाना चाहते हैं लेकिन कैसे जाएं.
भोपाल के सरकारी आईटीआई में काम करने वाले 87 मजदूर अपने पत्नी बच्चों के साथ लॉकडाउन में फंसे हुए हैं. यह मजदूर छत्तीसगढ़ से भोपाल काम करने आए थे, इस बीच कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते पूरे देश में लॉकडाउन कर दिया गया. दो-चार दिन तो इन मजदूरों के पास रुपए और खाने का इंतजाम था, लेकिन इसके बाद न रुपए बचे न हीं राशन. एक सामाजिक संगठन इन्हें दो वक्त का खाना जरूर दे रहा था, लेकिन अब वह भी बंद कर दिया गया है. बस अब यह मजदूर वापस छत्तीसगढ़ लौटने का इंतजार कर रहे हैं.