भोपाल।मध्यप्रदेश देश के उन राज्यों में पहला नंबर पर आया है, जिसने केन्द्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा 4 नागरिक केन्द्रित सुधारों में से 3 सुधारों को पूरा किया है. दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश है. मध्यप्रदेश वन नेशन-वन राशन-कार्ड, इज ऑफ डूइंग बिजनेस और अर्बन लोकल बॉडी रिफार्म में सुधार करने के मामले पहले नंबर पर है.
केन्द्र से एमपी को मिले 660 करोड़
इन सुधारों को करने के बाद वित्त मंत्रालय द्वारा अभी हाल में शुरू की गई 'राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिये विशेष सहायता'' योजना में पूंजीगत परियोजनाओं के लिये 660 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मदद मध्यप्रदेश को जारी की है. वहीं दूसरे नंबर वाले राज्य आन्ध्र प्रदेश को 344 करोड़ रुपये मिलेंगे.केन्द्रीय वित्त मंत्री ने 12 अक्टूबर, 2020 को आत्म-निर्भर भारत पैकेज के एक हिस्से के रूप में इस योजना की घोषणा की थी.
राज्यों को मिलेगी मदद
योजना का उद्देश्य कोविड-19 महामारी के दौरान पैसों की कमी से पैदा हुई वित्तीय स्थिति से निपटने में राज्यों को मदद करना है. वित्त मंत्रालय द्वारा निर्धारित 4 नागरिक केन्द्र सुधार में से पहला वन नेशन-वन राशन-कार्ड, दूसरा इज ऑफ डूइंग बिजनेस, तीसरा अर्बन लोकल बॉडी रिफार्म और चौथा पावर सेक्टर रिफार्म है. इन 4 सुधार में से 31 दिसम्बर, 2020 तक कम से कम 3 सुधार करने वाले राज्यों को ये विशेष सहायता मिली है.
बता दें मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने 15 दिसंबर को 2000 करोड़ का कर्ज लिया था. यह कर्ज 20 साल की अवधि के लिए लिया गया था. जिसकी अदायगी सरकार को 2040 तक करनी होगी, मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार ने 17वीं बार कर्ज लिया है. सरकार द्वारा 23 दिसंबर को दो हजार करोड़ का कर्ज लिए जाने पर कर्ज का आंकड़ा मौजूदा वित्तीय वर्ष में 18500 करोड़ पहुंच गया है.
प्रदेश सरकार ने कहां से कितना लिया उधार
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार पर 31 मार्च 2020 की स्थिति में कर्ज का आंकड़ा 2 लाख 11 हजार 89 करोड के ऊपर हो चुका है. सरकार ने बाजार से 1 लाख 15 हजार 532 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है. वहीं वित्तीय संस्थाओं से 10766.58 करोड़ कर्ज लिया है. इसके अलावा केंद्र सरकार से लोन के रूप में 20 हजार 938.81 करोड रुपए कर्ज लिया है. अन्य माध्यमों से 20 हजार 909.81 करोड़ कर्ज लिया है. सोशल सिक्योरिटी के जरिए 26491.30 करोड़ कर्ज लिया है.