भोपाल।मध्यप्रदेश में पिछले महीने हुए 28 विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की कर्ज माफी के मुकाबले बीजेपी ने केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की तर्ज पर मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का ऐलान किया था. मुख्यमंत्री कल्याण योजना में किसानों को दो बार में 4 हजार रुपए दिए जाने थे. लेकिन इस योजना के तहत प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के हितग्राहियों को ही मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का हितग्राही माना गया. जिसमें 75 लाख हितग्राही किसानों में सिर्फ 12 लाख हितग्राहियों को इस योजना का लाभ मिल पाया है. जबकि 65 लाख किसानों का अभी वेरिफिकेशन भी नहीं हो सका है.
क्या है मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने 25 सितंबर को दीनदयाल जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का ऐलान किया था. इस योजना को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की तर्ज पर बनाया गया था. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में एक किसान को साल भर में तीन किश्तों में 6 हजार रूपये हासिल होते हैं. मुख्यमंत्री कल्याण योजना के तहत प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के हितग्राहियों को दो किस्तों में 4 हजार रूपए मिलने थे. शिवराज सरकार का दावा है कि प्रदेश के 77 लाख किसानों को 1649 करोड़ रूपए सिंगल क्लिक में किसानों के खाते में डाले गए. जिसमें मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में 12 लाख 50 हजार किसानों के खाते में पहली किश्त 2 हजार रूपए डाली गई.
किसान संगठनों का कहना है कि इनकी घोषणाएं चुनावी होती है, वहीं कांग्रेस की मांग है कि जिस तरह कमलनाथ सरकार ने कर्ज माफी के एक-एक हितग्राही की सूची जारी की थी. उसी तरह मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की सूची जारी करना चाहिए
चुनाव के समय ही याद आते हैं आती किसान
भारतीय किसान यूनियन की मध्यप्रदेश इकाई के प्रदेश संगठन मंत्री ओम प्रकाश गुर्जर का कहना है कि सरकार जिस तरह से किसान सम्मान निधि, बीमा या फिर मुआवजा बांटती है, वह तरीका सही नहीं है. कुछ जगह बांट देती है, कुछ जगह हितग्राहियों को लाभ नहीं मिलता. जहां-जहां चुनाव क्षेत्र होते हैं, वहां पर योजना का लाभ मिलता है. इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि लाभ किसको मिलेगा, किसको नहीं. चुनाव के बाद से ही सरकार को किसानों की याद आती है. चुनाव आ गए हैं इसलिए सब घोषणा करते हैं. फिर वह हवा में रह जाती हैं.