भोपाल। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के समय जनता से कई वादे किए थे, वही वचन अब कमलनाथ सरकार पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं. कांग्रेस के वचन पत्र में संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण का वचन भी दिया था, लेकिन अतिथि शिक्षकों के आंदोलन से परेशान सरकार ने संविदा शिक्षकों के लिए 25% पद आरक्षित करने का फैसला किया है, जिससे संविदा कर्मचारियों में नाराजगी है.
संविदा कर्मचारियों के हिस्से की 25 फीसदी सीट अतिथि शिक्षकों के लिए आरक्षित करने पर आक्रोश
मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने अतिथि शिक्षकों के आंदोलन से परेशान होकर उनके लिए संविदा शिक्षकों के निर्धारित पदों में से 25% पद अतिथि शिक्षकों के लिए आरक्षित करने का फैसला किया है. जिसके बाद संविदा कर्मचारियों में काफी नाराजगी है.
संविदा कर्मचारियों का कहना है कि हम विधिवत रोस्टर का पालन कर और प्रतियोगी परीक्षा के जरिए चुने गए हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक हमारे नियमितीकरण पर कोई फैसला नहीं लिया है. अगर सरकार जल्द ही संविदा कर्मचारियों के बारे में कोई फैसला नहीं लेती है तो प्रदेश के संविदा कर्मचारी सड़कों पर उतर सकते हैं. इस मामले में मध्यप्रदेश संविदा कर्मचारी-अधिकारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष का कहना है कि मध्यप्रदेश शासन में जो लाखों संविदा कर्मचारी काम कर रहे हैं. उनकी एकमात्र नियमितीकरण की मांग है क्योंकि सरकार ने वचन पत्र में वादा किया था कि जैसे ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आएगी, वैसे ही प्रदेश के निगम, मंडल, परियोजना और विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा.
रमेश राठौर का कहना है कि एक तरफ मध्यप्रदेश शासन अतिथि शिक्षक जो घंटों के हिसाब से पढ़ाते हैं, उनको नियमित कर रही है और उनके लिए 25% पद आरक्षित कर रही है. वहीं संविदा कर्मचारी 20-25 सालों से काम कर रहे हैं. नियमित कर्मचारियों का समान काम कर रहे हैं, उनको लेकर सरकार ने अब तक कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया है, जबकि संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए शासन पर कोई वित्तीय भार भी नहीं पड़ना है. मध्यप्रदेश में लाखों पद खाली हैं. यदि संविदा कर्मचारियों को नियमित नहीं किया गया तो उनमें आक्रोश उत्पन्न होगा और आंदोलन के लिए मजबूर होंगे.