भोपाल। मध्यप्रदेश पटवारी संघ तीन सूत्रीय मांगों को लेकर 22 जून से ही आंदोलन कर रहा है, पर आज सभी जिलों के पटवारियों ने तहसील कार्यालय में अपना बस्ता जमा करा दिया है, जिससे सारा कामकाज बंद है. इससे पूर्व 2,3 और 4 अगस्त को भी पटवारी (patwari strike) सामूहिक अवकाश पर गए थे. हड़ताल के कारण पूरे प्रदेश में किसानों की फसल चढ़ाने, ग्रमीण स्वामित्व पट्टे, आबादी सर्वे जैसे महत्वपूर्ण कार्य ठप हो गए हैं. समय-समय पर सरकार को वैक्सीनेशन के काम में भी सहयोग कर रहे पटवारी अब काम नहीं करेंगे.
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प्रदेश के 19000 पटवारी (19000 patwari on strike) कलमबंद हड़ताल पर हैं, कोरोना महामारी का प्रभाव कम होने के बाद शासकीय कर्मचारियों की हड़ताल और आंदोलन की सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. पंचायत विभाग के कर्मचारियों के बाद अब पटवारी संघ जोकि पिछले 25 जून से चरणबद्ध तरीके से तीन सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. इस संबंध में सभी संबंधित अधिकारी व विभागों, मंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं. काला मास्क और काली पट्टी बांधकर भी विरोध जता चुके हैं, जिसके बाद वे आज से पूरे प्रदेश के पटवारी कलमबंद हड़ताल पर चले गए हैं.
संघ का कहना है कि इस समय पटवारी अपने कार्यों के साथ सरकार के अन्य विभागों के विभिन्न काम भी कर रहे हैं और कोरोना काल में उन्होंने जान जोखिम में डालकर मरीजों की सेवा की, उन्हें अस्पताल पहुंचाया, कोविड-19 सेंटरों के अंदर ड्यूटी की, ऑक्सीजन आपूर्ति में भी उनकी ड्यूटी लगाई गई और विषम परिस्थितियों में भी उन्होंने अपने कार्यों का निर्वहन किया, पर उनकी तीन सूत्रीय मांगों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है, इसलिए अब पटवारी संघ हड़ताल की राह पर है, इससे पूर्व भी मई में पटवारियों ने ट्विटर के माध्यम से अपनी मांगों के संबंध में एक अभियान चलाया था. मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और आयुक्त तक को ज्ञापन दे चुके हैं.
1- पटवारियों का ग्रेड पे 2800 करते हुए समयमान वेतनमान विसंगति को दूर किया जाए.
2- गृह जिले में पदस्थापना हो, वर्तमान में कई पटवारियों को गृह जिले से सैकड़ों किलोमीटर दूर पदस्थ कर दिया गया है.
3- नवीन पटवारियों की CPCT की अनिवार्यता संबंधी नियम समाप्त किया जाए.
पटवारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि 2800 वेतनमान के लिए शासन ने पत्र भी जारी कर दिया था, तत्कालीन कमलनाथ सरकार के समय राजस्व मंत्री ने इसके लिए आदेश भी जारी कर दिया था, जिस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. सिर्फ आश्वासन मिलते रहे हैं, राजस्व निरीक्षकों की वेतन वृद्धि की गई है, पटवारियों की वेतन वृद्धि नहीं होने से पटवारी संवर्ग नाराज है. ज्ञापन देने के बाद सरकार एक संविलियन नीति लाई, उस नीति से 2017 के बाद भर्ती हुए पटवारियों को ही फायदा होगा, जिनकी संख्या काफी कम है.