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World Health Day 2021: संक्रमण के बीच कोरोना योद्धाओं ने डट कर किया मुकाबला

आज 71वां विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर ईटीवी भारत ने एक ऐसे कोरोना योद्धा से बात की. जिन्होंने अपनी जान को खतरे में डालकर सैकड़ों लोगों की जिंदगियां बचाई. कोरोना महामारी के सफर में खुद भी संक्रमित हुए, लेकिन डरे नहीं, डट कर मुकाबला किया. और आज भी मरीजों का इलाज कर अपना भर्ज निभा रहे हैं.

World Health Day 2021
कोरोना योद्धा

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Published : Apr 7, 2021, 10:16 AM IST

Updated : Apr 7, 2021, 11:14 AM IST

भिंड। आज दुनियाभर में 71वां विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जा रहा है. यह पूरी दुनिया जानती है कि आज कोरोना महामारी ने विश्वभर में तबाही मचा दी है. करोड़ों लोग अपनी जान गवां चुके हैं और यह स्वास्थ्य व्यवस्थाएं ही हैं. जिसकी बदौलत लोगों की जान बची है. ऐसे स्वास्थ्यकर्मी जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों की जिंदगियां बचाने का काम किया. विश्व स्वास्थ्य दिवस पर ईटीवी भारत ऐसे स्वास्थ्यकर्मियों से आपको रूबरू करा रहा है.

कोरोना योद्धाओं ने डट कर किया मुकाबला

संक्रमण की कहानी कोरोना वॉरियर्स की जुबानी

पिछले साल मार्च के महीने में जब विश्व के साथ भारत में भी कोरोना ने एंट्री ली. तो हर कोई इस अनजान बीमारी से खौफ में था. लेकिन उस दौरान एक वर्ग ऐसा था. जिन्होंने अपने ऊपर बड़ी ज़िम्मेदारी ली थी. यह वर्ग था हमारा स्वास्थ्य अमला, भिंड में भी संदिग्ध मरीज़ों को क्वारंटाइन किया जा रहा था. लेकिन महामारी के आगे स्वास्थ्य विभाग के सामने एक सबसे बड़ी चुनौती थी. क्योंकि देश में 130 करोड़ की जनता के लिए हमारे पास पर्याप्त स्वास्थ्यकर्मी नहीं थे. ऐसे में प्रधानमंत्री के आह्वान पर स्वास्थ्य सेवा देने वाले हर विभाग को कोविड ड्यूटी में बुलाया गया. उस दौरान आयुष विभाग में काम कर रहे डॉक्टर वरुण शर्मा भी भिंड स्वास्थ्य विभाग के अधीन कोविड ड्यूटी के लिए आगे आए और तब से ही निरंतर अपनी जान की परवाह किए बिना अपने डॉक्टर होने का कर्तव्य निभा रहे हैं.

कोरोना महामारी स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए बड़ी चुनौती

डॉ वरुण ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि शुरुआती दौर में ही 26 मार्च को सबसे पहले उन्हें स्क्रीनिंग की ज़िम्मेदारी दी गई. उन्हे भिंड के मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी ने ग्वालियर रेलवे स्टेशन पहुंचाया था. जहां महाराष्ट्र से प्रवासी मजदूरों को लेकर ट्रेन पहुंच रही थी. चुनौती बड़ी थी. उन मज़दूरों में वे लोग जो भिंड जिले के थे. उनकी स्क्रीनिंग की गई. कोरोना के लक्षण मिलने पर भिंड लाकर सभी को क्वारंटाइन किया गया. अगले दिन से बॉर्डर पर भी स्क्रीनिंग कैंप लगा दिया गया.

मरने के डर से रोने लगते थे मरीज, डॉक्टर देते थे सांत्वना

UP की ओर से और ग्वालियर से आ रहे लोग अपने साथ संक्रमण न ले आए, इसके लिए लगातार जांच की जाने लगी. लोगों को दवाइयां देना शुरू की गई. प्रवासी मज़दूरों का लोड बहुत ज़्यादा था. लेकिन 8 मई से असली चुनौती शरू हुई. जब कोरोना का पहला मरीज़ सामने आया. उसके बाद से धीरे धीरे मरीज़ों की संख्या में इज़ाफ़ा होना शुरू हो गया. मरीज़ों का इलाज किया जाने लगा. लोग नई बीमारी से बेहद डरे हुए थे. लोग मरने के डर से रोते थे. तो उनसे डॉक्टर बातचीत कर सांत्वना देते थे.

14 दिनों के क्वारंटाइन का था लोगों में डर

जब हर रोज मरीजों की संख्या 20 से अधिक होने लगी. तब गांव गांव जाकर ग्रामीणों की जांच करने का काम शुरू किया गया है. सही समय पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से सही क़दम उठाए गए. जिसका फ़ायदा वाक़ई भिंड ज़िले को मिला. डॉक्टर वरुण का कहना है कि ग्रामीण परिवेश में समस्या इस बात को लेकर आ रही थी कि लोग बाहर से आने के बाद भी जानकारी नहीं देते थे. लोगों को इस बात का डर था कि स्वास्थ्य विभाग उन्हें 14 दिनों के लिए अपने साथ ले जाएगा और क्वारंटाइन कर देगा.

लोगों में फैली गलत जानकारी के चलते बढ़ी बीमारी

ग्रामीण क्वारंटाइन के डर के चलते सामने नहीं आ रहे थे. जबकि ऐसा नहीं था. समय पर इलाज होने से लोग ठीक हो रहे थे. जबकि जानकारी छिपाने वाले लोगों ने संक्रमण को फैलाने का काम किया. ऐसे ही मरीजों का इलाज करते हुए अक्टूबर में वह खुद भी संक्रमित हो गए थे. लेकिन जैसे ही रिकवर हुए वापस अपनी ड्यूटी पर लौट आए और तब से एक बार फिर अपना काम पूरी शिद्दत से कर रहे हैं. प्रयास कर रहे हैं कि उनकी वजह से लोगों को यदि फ़ायदा हो सकता है. उन्हें इस बीमारी से बचाया जा सकता है, तो उन्हें इस बात की ख़ुशी है. वह अच्छे काम के लिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

सावधानी ही कोरोना से बचाव

डॉक्टर वरुण जैसे ही, न जाने कितने स्वास्थ्यकर्मी आज देश भर में अपनी जान की परवाह किए बगैर दूसरों की जान बचाने का काम कर रहे हैं. दिन रात 1 कर रहे हैं. ताकि लोगों को इस बीमारी से बचाया जा सके. खासकर जब एक बार फिर जब दूसरी लहर सामने आ रही है. माना जा रहा है कि यह लहर पहले से ज़्यादा ख़तरनाक है. ऐसे में डॉक्टर वरुण शर्मा भी कहते हैं कि हम अपनी ओर से वैक्सीनेशन का काम जितना तेजी से हो सके कराने का का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन फिर भी लोगों से इस विश्व स्वास्थ्य दिवस पर अपील है कि वे खुद को और दूसरों को सुरक्षित रखने के लिए मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. क्योंकि सावधानी ही कोरोना महामारी से आपको बचा सकती है.

  • विश्व स्वास्थ्य दिवस की शुरूआत

हर साल 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. WHO ने इसकी शुरूआत की थी. 7 अप्रैल 1948 को विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहली बैठक हुई. इसी बैठक में स्वास्थ्य दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया. जिसके बाद साल 1950 से हर साल विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाने लगा. आज दुनियाभर में 71वां विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जा रहा है.

  • WHO ने चुना खास थीम

शुरुआती दौर में WHO से संबद्ध देश ही इस दिवस का मनाते थे. लेकिन समय के साथ WHO के सदस्य देशों की संख्या बढ़ने के साथ ही बाकी देशों में भी इसे मनाने की बात कही गई. हर साल इस दिवस को मनाए जाने के साथ ही इसके लिए एक खास थीम भी चुना जाता है. इस बार WHO की ओर से 'एक निष्पक्ष, स्वस्थ दुनिया का निर्माण' थीम को चुना गया है.

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  • बीमारी से पहले करें बचाव

देश और दुनियां के तमाम लोग आज कई बड़ी बीमारी से परेशान हैं. जिसमें मलेरिया, हैजा, टीबी, पोलियो, कुष्ठ, कैंसर और एड्स जैसी घातक बीमारी शुमार है. दुनियाभर के लोगों को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से स्वस्थ बनाने के लिए जागरुक करना ही इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है. ताकि बीमारी से पहले इसका बचाव किया जा सके.विश्व स्वास्थ्य दिवस के जरिए स्वास्थ्य की देखभाल और इसके लिए जागरुक रहना सीखाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से इस दिन स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को सहयोग दिया जाता है.

Last Updated : Apr 7, 2021, 11:14 AM IST

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