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world animal welfare day बेजुबानों का सहारा बन रहा 'इंसानियत' का 'आश्रम', एक दशक से जानवरों की सेवा में जुटे हैं भिंड के युवा - भिंड युवा सदस्य स्वयं उठाते हैं सारा खर्च

जानवरों की सेवा करने का युवाओं में आजकल काफी जोश देखा जा सकता है. विश्व पशु कल्याण दिवस के मौके पर ऐसे ही युवाओं द्वारा असहाय एवं जख्मी बेजुबानों के लिए बनाए गए इंसानियत के आश्रम की कहानी से ईटीवी भारत आपको रुबरू करा रहा है. इंसानियत युवा मंडल द्वारा संचालित जानवरों के इस आश्रम की सांसद एवं पेटा की मेनका गांधी भी तारीफ कर चुकी हैं. (bhind ashram of human being for animal)

bhind ashram of human being for animal
बेजुबानों का सहारा इंसानियत का आश्रम

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Published : Oct 3, 2022, 9:35 PM IST

Updated : Oct 3, 2022, 10:39 PM IST

भिंड। इस विश्व पशु कल्याण दिवस के मौके पर ETV Bharat आपको मध्य प्रदेश के भिंड जिले में जानवरों की सेवा में कार्य कर रहे उन युवाओं से रूबरू कर रहा है, जिन्होंने अपना जीवन ऐसे जानवरों के प्रति समर्पित कर दिया है. जानवर जो बेसहारा हैं, जिन्हें इलाज और देखभाल की जरूरत है उनके लिए यह युवा इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं. (bhind world animal welfare day)

एक दशक से जानवरों की सेवा में जुटे हैं भिंड के युवा

जाने क्या है इंसानियत युवा मंडल समितिः दुनिया भर में 4 अक्टूबर को विश्व पशु दिवस यानी वर्ल्ड एनिमल वेलफेयर डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मूल उद्देश्य विलुप्त हो रहे प्राणियों की रक्षा करना और मानव से जानवरों के संबंधों को मजबूत करना है. चूंकि अक्सर जानवरों के प्रति क्रूरता या पशु अधिकारों के उल्लंघन जैसे कई मुद्दे सामने आते हैं. ऐसे में उन हालातों से लोगों में सोच बदल कर पशु प्रेम की भावना पैदा कर जागरूक करने का बीड़ा भी कई सामाजिक संगठनों ने उठाया हुआ है. इन्ही में से एक संस्था है इंसानियत युवा मंडल समिति. (bhind ashram of human being for animal)

युवा सदस्य स्वयं उठाते हैं सारा खर्चः भिंड के कुछ युवकों ने 10 साल पहले बेसहारा बेजुबान जानवरों के इलाज और सेवा के लिए एक छोटा सा शेड शुरू किया था. जानवरों के प्रति उनका लगाव और सेवाभाव को देखते हुए न सिर्फ शहरवासी उनसे प्रेरित हुए बल्कि भिंड के दो कलेक्टर्स भी प्रभावित हुए. इंसानियत युवा मंडल की छोटी सी पहल आज उनके समूह के नाम की तरह ही इंसानियत के असली माइने सिखा रही है. इंसानियत युवा मंडल से के सदस्य आज भिंड के बस स्टैंड के पास जानवरों के लिए एक छोटा से टेक-केयर होम संचालित करते हैं. यहां देखभाल करने वाले कोई प्रफेशनल लोग नहीं है. बल्कि शहर के ही युवा है जो खुद आपस में पॉकेट मनी इकट्ठा कर सुविधाओं को संचालित कर रहे हैं. खास बात यह है कि ये एनिमल केयर सेंटर न सिर्फ सुविधाओं से लैस है बल्कि ऐसे जानवरों और पक्षियों के लिए बनाया गया है जो बेसहारा है और घायल या बीमार होते हैं. (bhind ashram make for support of bejubaan)

जाने क्या है इंसानियत युवा मंडल समिति

दस साल पहले रखी गई थी इस समूह की नींवः इंसानियत युवा मंडल समिति के सदस्य अक्षय इंसानियत ने बताया कि इस समूह की नींव 2012 में रखी गयी. उनके गुरुजी अनंत इंसानियत इस ग्रुप के वे पहले शख्स थे. जिनके पशु प्रेम ने भिंड के 400 से ज्यादा युवाओं को प्रभावित किया. इसके साथ ही 2015 में इस ग्रुप का रजिस्ट्रेशन इंसानियत युवा मंडल समिति के नाम से कराया. अक्षय इंसानियत कहते हैं कि, आदमी की सुनने वाले मदद करने वाले तो बहुत है. लेकिन बेज़ुबानों की मदद को कोई आगे नहीं आता है. (youth members themselves bear all the expense)

युवा सदस्य स्वयं उठाते हैं सारा खर्च

अच्छी पहल ने दिलाई कलेक्टर से जगहःअक्षय ने बताया कि शुरुआत में वे लोग शहर के हाउसिंग कॉलोनी स्थित निजी निवास पर जानवरों का इलाज करते थे. धीरे धीरे जानवरों की संख्या बढ़ने लगी तो जगह कम पड़ गयी. ऐसे में एक किराए की जगह पर केंद्र संचालित किया. लेकिन वहां कुछ समय पहले भिंड कलेक्टर सतीश कुमार ने दौरा किया तो इस पहल से प्रभावित हुए. स्थिति देखते हुए उन्होंने वैटनरी विभाग से बस स्टैंड के पास इस काम को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें एक बड़ी जगह उपलब्ध कराई, तो इंसानियत युवा मंडल समिति का एनिमल केयर होम संचालित होने लगा जिसे आज ये लोग आश्रम कहते हैं. (bhind world animal welfare day)

दस साल पहले रखी गई थी इस समूह की नींव

सुविधाओं से लैस है एनिमल केयर होमः इस आश्रम में कई तरह के जानवर और पक्षी इलाज के लिए लाए जाते हैं. जिनमे ज्यादातर जानवर आवारा या छोड़े हुए बेसहारा हैं. जो किसी हादसे में घायल हो गए या बीमार हैं. जानवरों के इलाज के लिए लगने वाले इक्विपमेंट, टेबल्स, एनिमल बेड्स, व्हील वॉकर्स, पिंजड़े, और जरूरत के लिए एक एम्बुलेंस भी खुद इंसानियत युवा मंडल समिति के सदस्यों ने आपस में चंदा कर खरीद ली है. अक्षय के मुताबिक यहां करीब आधा सैकड़ा जानवरों को इलाज दिया जा रहा है जिनमें कुत्ते, बंदर, बिल्ली समेत कुछ पक्षी भी हैं ऐसे में इनके कहने की ज़िम्मेदारी भी सभी मिलकर उठाते हैं.

पशु प्रेम में सेवा के लिए निकालते हैं समयः समूह के 400 सदस्यों में से करीब 80 सदस्य हर रोज सेवा के लिए इस आश्रम में समय देते हैं. कोई रिक्शा चलता है तो कोई शिक्षक है. लेकिन यह सभी अपनी शिफ्ट के अनुसार आते हैं. सेवा करते हैं, इन्ही में से समूह की एक सदस्य शिल्पा इंसानियत कहती हैं, वे पिछले 10 साल से इस समूह से जुड़ी हैं. यहीं उन्होंने जानवरों को ट्रीटमेंट देना सीखा है. उन्हें जानवरों से बेहद लगाव है. इस वजह से वे यह सेवा कर रही हैं कुछ ऐसे ही विचार एक और सदस्य मोहित इंसानियत के भी हैं वे शुरू से ही इस समूह का हिस्सा हैं. (bhind ashram make for support of bejubaan)

Last Updated : Oct 3, 2022, 10:39 PM IST

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