भिंड। लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार हुए मजदूरों को सरकार ने राहत देने के लिए प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत काम देने के निर्देश दिए थे. लेकिन भिंड जिले में इस योजना का लाभ सिर्फ पंचायत स्तर पर सरपंच और सचिव तक ही सीमित रह गया है. 88 गांव के ब्लॉक गोहद में प्रवासी मजदूरों के लिए मनरेगा के तहत कई मजदूरी के काम शुरू किए गए, लेकिन ज्यादातर पंचायत में मशीनों के जरिए काम कराया जा रहा है.
मजदूरों की जगह मशीनों से हो रहा काम
मजदूरों का कहना है कि उनसे न तो सरपंच ने और ना सचिव ने संपर्क किया और ना ही उन्हें काम दिया गया है, पिछले चार महीने से रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं लेकिन सरपंच काम नहीं दे रहे हैं. रोजगार न होने की वजह से वो लोग बेहद परेशान हैं. यहां तक की सरकार के निर्देशों को पूरा करने के लिए जॉब कार्ड तो बनवा दिए गए हैं, लेकिन मजदूरी के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई. सारा काम मशीनों से ही कराया जा रहा है.
मनरेगा में नहीं मिला काम
वहीं रोजगार की तलाश में ग्राम पंचायत चंदोखर में गुजरात से आए एक मजदूर का कहना है कि वह गुजरात में पेंटर का काम करता था लेकिन कोरोना वायरस के चलते वापस घर नहीं लौट सका, जिसके चलते यहीं चार महीने से बिना काम के परेशानियों का सामना कर रहा है लेकिन मनरेगा के तहत पंचायत की ओर से एक भी काम नहीं मिला.