भिंड। मध्यप्रदेश में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने और मातृ- शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. केंद्र के साथ ही राज्य सरकार भी विभिन्न योजनाएं चला रही है. जननी सुरक्षा योजना, मातृ वंदना योजना और संबल योजना के जरिए गर्भवती महिलाओं के प्रसव से लेकर प्रसव के बाद तक लाभ पहुंचाने का दावा किया जाता है, लेकिन भिंड जिले में तमाम योजनाएं केवल कागजों तक सिमट कर रह गई हैं. जननी एक्सप्रेस एंबुलेंस के जरिए गर्भवति महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने और प्रसव होने के बाद उनके घर तक निःशुल्क छोड़ने की योजना है, लेकिन जिले के दूर दराज गांवों में आने के लिए पैसों की मांग करते हैं. वहीं मातृ वंदना योजना और संबल योजना के तहत महिलाओं को गर्भवस्था और प्रसव के बाद दी जाने वाली राशि भी नहीं मिल पा रही है.
गोहद के जगन्नाथपुरा गांव में बृजेश माहोर ने बताया कि, 26 अगस्त को उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई, तो उन्होंने जननी एक्सप्रेस को फोन किया, लेकिन जननी एक्सप्रेस चालक द्वारा फोन पर ये कहकर मना कर दिया गया कि, गांव का रास्ता खराब है हम नहीं आ सकते. मेहगांव में एंबुलेंस के लिए संपर्क कर लें. कई बार फोन करने पर जब सुबह 6:00 बजे तक एंबुलेंस नहीं पहुंची, तो बृजेश खुद गोहद गए और वहां से 1500 रुपए में एक प्राइवेट एंबुलेंस लेकर गांव आए और अपनी पत्नी को अस्पताल ले जाने के लिए रवाना हुए, लेकिन रास्ते में ही उनकी पत्नी की डिलीवरी हो गई. डिलीवरी के बाद प्रसूता की हालात बिगड़ने लगी, तो जल्दी- जल्दी अस्पताल में भर्ती कराया गया. जब अस्पताल से बृजेश की पत्नी को डिस्चार्ज कर घर ले जाना था, तभी जननी एक्सप्रेस को फोन किया गया. बृजेश का आरोप है कि, एंबुलेंस कर्मी ने बदसलूकी कर फोन काट दिया.
जननी सुरक्षा योजना का नहीं मिला लाभ
मातृ वंदना और संबल योजना के तहत श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना की हालत भी कुछ खास ठीक नहीं है. जिला मुख्यालय को अगर छोड़ दिया जाए तो, कई ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना का लाभ हितग्राही माताओं को नहीं मिल पाता है. बृजेश माहोर ने भी बताया कि, उनके पहले बच्चे के दौरान मिलने वाले जननी सुरक्षा योजना की राशि आज तक नहीं मिल पाई है. मजदूरी कार्ड होने के बावजूद उन्हें अन्य योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाया. उन्होंने सभी जरूरी कागज जमा कराए थे. भिंड जिला अस्पताल से मिले आंकड़ों के मुताबिक तो शत-प्रतिशत हितग्राहियों को जननी सुरक्षा योजना और मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना का लाभ स्वास्थ्य विभाग की ओर से मिलता है, लेकिन प्रसव के बाद जिला अस्पताल में भर्ती एक महिला के पति से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि, उनकी पत्नी को दूसरा बच्चा हुआ है. पहले बच्चे के दौरान उन्हें गर्भावस्था के दौरान करीब 4 से 5 हजार रुपए महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से खाने-पीने और जांच के लिए मिले थे, लेकिन उसके बाद उन्हें किसी तरह की राशि नहीं मिली, जबकि नियमानुसार मजदूरी कार्ड वालों को 16 हजार मिलने का प्रावधान है.
महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अब्दुल गफ्फार खान का कहना है कि, मातृ वंदना योजना का लाभ हितग्राहियों को दिया जा रहा है. जिसमें 5 हजार की राशि महिला बाल विकास विभाग की ओर से उपलब्ध कराई जाती है, हालांकि इस योजना का लाभ सिर्फ पहले बच्चे के दौरान ही दिया जाता है. गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद भी जच्चा- बच्चा स्वस्थ रहें. इसके लिए भी विभाग द्वारा पोषण आहार मिशन जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं. जिनमें आंगनबाड़ियों द्वारा अपनी भूमिका अदा की जा रही है.
वहीं जननी एक्सप्रेस और स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं को लेकर भिंड के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजीत मिश्रा ने बताया कि, जननी सुरक्षा योजना और पीएसवाई की जानकारी देते हुए बताया कि जिले में जननी सुरक्षा योजना के तहत शहरी क्षेत्र में 1 हजार और ग्रामीण क्षेत्रों में 1400 रुपए माताओं को दिए जाते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि पहली और दूसरी डिलीवरी के लिए पीएसवाई के तहत 16 की प्रोत्साहन राशि की पात्रता भी रहती है. हालांकि जब सीएमएचओ से पूछा गया कि, कई केस ऐसे हैं. जहां हितग्राहियों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है तो उस पर उनका कहना था कि, केस तो मिलते रहते हैं, लेकिन जब तक हितग्राही द्वारा संस्था को डिस्चार्ज टिकट और खाता नंबर उपलब्ध नहीं कराता, तब तक पेमेंट होने में परेशानी रहती है.
जननी सुरक्षा योजना