भिंड। जिले का दिन्नपुरा एक ऐसा गांव है, जहां आज भी लोग पानी के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं. पेयजल व्यवस्था के लिए चम्बल नदी के किनारे बसे गांव के ग्रामीण नदी पर निर्भर हैं और मगरमच्छों के खतरे के बीच अपनी जान हथेली पर रख कर नदी से पानी भरते हैं. कई मवेशी और ग्रामीण हादसों का भी शिकार हुए हैं. बावजूद इसके 6 दशक से ज्यादा समय गुजरने के बाद भी इस गांव में सरकारी पेयजल योजनाओं का लाभ नहीं मिला. वह भी तब जब प्रदेश के ग्रामीण अंचलों के विकास की जिम्मेदारी सम्भाल रहे सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया इस क्षेत्र से ही विधायक हैं. (drinking water crisis in bhind)
भिंड में पेयजल संकटः इस तपन भरी गर्मी में भिंड जिले के अटेर क्षेत्र के ग्रामीण पेयजल संकट से जूझ रहे हैं. कहने को या क्षेत्र चम्बल नदी के किनारे बसा है, लेकिन यहां की ग्राम पंचायत मघेरा खारे पानी की समस्या झेल रहा है. दुर्भाग्य इतना है कि पंचायत का ग्राम दिन्नपुरा चम्बल नदी से महज 1 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है, लेकिन गांव में पीने लायक पानी नहीं है. ग्रामीणों के मुताबिक गांव में न तो हैंडपम्प है और न ही सरकारी बोर. लिहाजा नदी से पानी भरने की मजबूरी है. (bhind chambal river)
कई मवेशी और बच्चों का शिकार कर चुके मगरमच्छःचम्बल नदी जलीय जीवों से सम्पन्न है. यहां डॉल्फिन जैसे दुर्लभ मछलियां भी पायी जाती हैं. इसके अलावा घड़ियाल और मगरमच्छ जैसे खूंखार जलीय जीव भी हैं. इसी वजह से ग्रामीणों को यहां पानी भरने के लिए अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है. ग्रामीणों के मुताबिक कई बार बच्चे और मवेशी इन मगरमच्छों का शिकार बन चुके हैं, लेकिन सरकारी मशीनरी ने आज तक यहां सुरक्षा के कोई इंतजाम या पेयजल की व्यवस्था नहीं की है. (crocodile fear in chambal river)
पेयजल के लिए चम्बल नदी एक मात्र विकल्पःदिन्नपुरा गांव के कई लोगों ने पूरी जिंदगी पानी की जद्दोजहद में गुजार दी. सुबह का कामकाज निपटा कर गांव के लोग एक साथ चम्बल किनारे पहुंचते हैं और सिर पर मटका, साठों में बाल्टी डब्बे जो भी बर्तन पानी लाने में काम आ सके ढोकर ले जाते हैं. कुछ लोग नदी पर नजर रखते हैं. कुछ लोग पानी भरते हैं. पानी लाने और ले जाने का काम ज्यादातर महिलाओं के जिम्मे हैं. गांव में रहने वाली बिराग देवी कहती हैं कि गांव में लगे एक हैंडपंप के जरिए पानी तो आता है, लेकिन उसे पीने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. पेयजल के लिए हम लोगों को प्रतिदिन नदी पर जाना पड़ता है. लोग सुबह और शाम पानी लाने जाते हैं, जहां मगरमच्छ का भी डर रहता है. लाइनर इस समस्या को लेकर जनप्रतिनिधि और अफसरों से भी कहा लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती. घड़ियालों की वजह से पानी भरने के दौरान कई बार हादसे हो चुके हैं.