Vakri Shani 2023:ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की दशा में बदलाव गणेश राशियों को प्रभावित करता है, जिनमें ग्रहों के गोचर और उनकी चाल भी महत्वपूर्ण मानी जाती है. कुछ ग्रह समय समय पर वक्री यानी उल्टी चाल भी चलते हैं, जिसका महत्व भी ज्योतिष विज्ञान में उतनी ही महत्वपूर्ण मानी जाती है. वक्री चाल चलने वाले इन ग्रहों में न्याय और कर्म के देव शनि ग्रह भी शामिल हैं. आने वाले 17 जून को ही शनि की चाल वक्री होने जा रही है, जिसके असर से कुछ राशि जातकों के लिए परेशानियों का पहाड़ खड़ा हो सकता है. आइये जानते है की शनि ग्रह के वक्री होने के क्या मायने हैं.
क्या होता है वक्री शनि:जब कोई ग्रह किसी खगोलीय घटना का साक्षी बनता है, तो ज्योतिष शास्त्र में भी इसका महत्व होता है. जब कोई ग्रह राशि परिवर्तन करता है, तो इसका असर सभी राशियों पर पड़ता है. ज्योतिष गणना का आधार ही ग्रहों की दशा और चाल पर निर्भर करती है. माना जाता है कि सभी 9 ग्रह सौरमंडल में अपनी धुरी पर आगे बढ़ते हैं, यानी सीधे आगे की ओर यात्रा करते हैं, लेकिन कुछ ग्रह ऐसे भी हैं, जिनकी चाल उल्टी यानी वक्री भी हो जाती है. इन ग्रहों में शनि भी शामिल हैं.
ग्रहों की वक्री चाल खगोलशास्त्र में एक भ्रम:यह सभी जानते हैं कि ग्रह हमेशा एक ही दिशा में ड्यूटी के चारों और परिक्रमा लगाते हैं, किसी ग्रह का उल्टी दिशा में बढ़ना एक भ्रम मात्र है. ऐसा इसलिए है कि जब किसी ग्रह की चाल में सापेक्ष अंतर आ जाता है, तो उस ग्रह की चाल उल्टी या वक्री दिखाई देने लगती है. लेकिन असल में ऐसा होता नही है, कहा जा सकता है कि जब ग्रहों में निकटता आती है, उस दौरान वक्री चाल का भ्रम पैदा होता है.
ज्योतिष में शनि की वक्री चाल का महत्व:ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य और चन्द्र के अलावा बाकी सभी ग्रह वक्री चाल चलते हैं, जब बात शनि के वक्री होने की करें तो शनि ग्रह जब वक्री हो तो तुला राशि के लिए इसका प्रभाव सकारात्मक और मकर राशि के लिए नकारात्मक होता है. चूंकि शनि को न्याय और कर्म का देवता माना जाता है, ऐसे में जब किसी कुंडली में शनि वक्री होते हैं तो उस जातक का जीवन कष्ट से भर जाता है. अगले माह 17 जून की रात 10:48 बजे शनि की चाल वक्री हो जाएगी जो अगले साढ़े चार महीने इसी तरह रहेगी.
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कुंडली भाव से समझिए वक्री शनि का प्रभाव:
प्रथम भाव:लग्न-इस भाव में शनि के वक्री होने पर कुछ कुंडली में शुभ और कुछ में अशुभ प्रभाव होते हैं, जातकों पर परेशानियाँ और रोग जैसी स्थितियाँ शनि के प्रणव से बनती हैं.
द्वितीय भाव:धन और परिवार- इस भाव में शनि का वक्री होना बेहद शुभ साबित होता है, ऐसा होने पर जातक का धर्म से जुड़ाव होता है. जीवन में धन लाभ की प्राप्ति होती है जातक ईमानदार, और दयालु बनता है.
तृतीय भाव:भाई, बहन और पराक्रम-इस भाव में शनि की वक्री चाल असफलता की और ले जाती है, जरूरी कामों में बाधाएं आती हैं. मन दुखी और जीवन में निराशा आती है.