भिंड।कभी फिल्मों में सुना करते थे की गांव की बात गांव में रहती है. जहां पुलिस का नहीं पंचायत का कानून चलता है. इसका ताजा उदाहरण भिंड जिले में देखने को मिला. जहां मामा के आपसी झगड़े में भांजी की हत्या कर देने पर पाप का दोष मिटाने समाज की पंचायत ने 45 दिन गांव से बाहर रहने और गंगा स्नान करने के बाद गांव वापसी कर भंडारा देने का फैसला सुनाया. इस पूरी घटना और घटनाक्रम की जानकारी भी पुलिस को नहीं लगने दी. अब पूरे मसले पर पुलिस सुराग खोजने की कोशिश में जुटी है.
- बीना किसी को बताए दफनाया मृतक नाबालिग का शव
भिंड जिले के भरौली थाना क्षेत्र में सीताराम के पुरा गांव में बीती 7 मई को रामलखन कुशवाह की मौत हो गई थी. जिन की तेरहवीं 20 मई को थी, अपने पिता की तेरहवीं में शामिल होने के लिए मुरैना जिले के डिरोली गांव से अट्टो देवी अपनी नाबालिग बेटी के साथ आई हुई थी. तेरवीं के अगले दिन 21 मई को मृतक के बेटे मोनू कुशवाह और बुद्धू सिंह कुशवाह में बंटवारे को लेकर आपसी विवाद हो गया. इसी बीच मृतक रामलखन की बंदूक छोटा बेटा उठा लाया और फायर कर दिया, झगड़े में चली गोली अट्टो देवी की 11 साल की बेटी को लगी और मौके पर ही उसकी मौत हो गई. मौत के बाद परिवार ने अपनी बहन अट्टो को मनाया और पुलिस में रिपोर्ट ना करते हुए एक राय होकर के बेटी को दफन कर दिया. इस पूरी घटना के बारे में गांव को जानकारी होने के बाद भी चुप्पी साध ली और मामले को दबा दिया गया.
- पुलिस से बचने थाने में हाई जमा करा दो बंदूक
हत्या के बाद राज खुलने का डर और उपयोग हुए हथियार की बरामदगी से बचने के लिए भी आरोपियों ने फिल्मी तरीके से पुलिस को गुमराह किया. घटना के बाद आरोपी मामाओं ने बंदूक लेकर पुलिस थाने पहुंचे और पिता के नाम लायसेंस होने से बंदूक जमा करवा कर रसीद ले गए.
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- पंचायत ने दिया भांजी की हत्या का पाप मिटाने का फरमान
घटना के 17 दिन के बाद आरोपियों ने अपने घर समाज की पंचायत जोड़ी. जिसमें आसपास के गांव के लोगों को बुलाया गया. भिंड, सरमन सिंह का पुरा, कटनापुरा, सिकाहटा, बराईपुरा, आकोड़ा, नदरोली, सीताराम का पूरा सहित अन्य कई गांव से करीब 100 से ज्यादा लोग इकट्ठे हुए. पंचों ने हत्या की घटना की निंदा की और गोली चलाने वाले दोषी भाइयों को आरोपी मानते हुए फैसला सुना दिया. पंचायत का फरमान था कि आरोपी बुद्ध सिंह और मोनू सिंह द्वारा की गई भांजी की हत्या पाप की श्रेणी में है. इस पाप को मिटाने के लिए सजा के तौर पर उन्हें 3 पखवाड़े यानी घर के बाहर रहना होगा. इसके बाद पैदल यात्रा कर गंगा नहाने जाना होगा. तब गांव और समाज में उनकी वापसी होगी. वापस आने पर कन्या भोज के रूप में एक भंडारा भी उन्हें कराना होगा. फैसला सुनाने के बाद पंचों ने कानून की कोई परवाह नहीं की और ना ही कानून संगत फैसला दिया और ना ही पुलिस को इस बारे में कोई सूचना दी गई.
- मामला दबाने में लगे हैं पंचायत के लोग
समाज विशेष के कुछ लोगों ने जब इस संबंध में नाम ना बताने पर मीडिया को सूचित किया तो भारौली थाना पुलिस ने सीताराम का पूरा गांव जाकर आरोपियों के घर दबिश दी, लेकिन आरोपी मौके से फरार मिले. इस पूरे मामले पर जब ईटीवी भारत ने डीएसपी हेड क्वार्टर मोतीलाल कुशवाहा से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि मामला संज्ञान में आया है. हमने पुलिस टीम गांव में पहुंचाई थी, लेकिन गांव में कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. थाना प्रभारी को इस संबंध में जांच कर मर्ग कायम करने के भी निर्देश दिए हैं. साथ ही जांच के लिए आवश्यकता पड़ने पर उसका शव निकलवा कर पोस्टमार्टम भी कराया जाएगा.
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- हर पहलू पर सुराग ढूंढ रही पुलिस
डीएसपी कुशवाहा ने बातचीत के दौरान बताया कि अब तक बच्ची के परिवार से भी कोई सामने नही आया है. जिसकी वजह से कोई भी शिकायत अब तक सीधे तौर पर नहीं हुई है. सबसे पहले हम उस बच्ची की मौजूदगी का पता कर रहे हैं. साथ ही घरवालों से भी बात करने का प्रयास कर रहे हैं. जिससे की पता चल सके कि उसे दफनाया कहां गया है. हर उस पहलू पर जांच की जा रही है जहां से कोई नया सुराग मिल सके.