भिंड।आत्मनिर्भर नारी.. ये शब्द सुनते ही महिलाओं के सशक्तीकरण से जुड़ी कई तस्वीरें जेहन में आती हैं. इस पुरुष प्रधान देश में अब महिलाएं सिर्फ परिवार ही नहीं चला रहीं, बल्कि परिवार की सुरक्षा का ज़िम्मा भी उठाने लगी हैं. चम्बल के जिला भिंड में बीते कुछ वर्षों में कई महिलाओं ने आर्म्स लाइसेंस बनवाए हैं . भिंड जिले के अटेर क्षेत्र में रहने वाली नीरज जोशी हाल ही में कंधे पर बंदूक टांगे कलेक्ट्रेट में नज़र आईं. इस तरह की तस्वीर दिखना किसी और जिले में अजीब लग सकता है लेकिन चंबल इलाके में ये सब सामान्य बात लगती है.
परिवार की सुरक्षा के लिए बनवाया लाइसेंस :कंधे पर बंदूक टांगे नीरज जोशी ने ETV भारत को बताया कि चार साल पहले उनके पति का देहांत हो गया था. घर मे बुज़ुर्ग सास ससुर और 3 बच्चे हैं. वे चम्बल के उस बीहड़ इलाके से हैं, जहां कभी डकैतों का मूवमेंट हुआ करता था. समय के साथ बदलाव तो हुआ है लेकिन आज भी उनके गांव में लड़ाई -झगड़े और विवाद की स्थिति कभी भी बन जाती हैं. इसके अलावा गुंडे -बदमाशों का भी डर बना रहता है. पति नहीं रहे तो अपनों की सुरक्षा के लिए बंदूक का लाइसेंस बनवाया है. अब बच्चों और सास- ससुर की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भी खुद नीरज जोशी उठा रहीं है.
आर्म्स लाइसेंस बनवाने में महिलाओं की दिलचस्पी बढ़ी :अब तक जो महिलाएं परिवार संभालती थीं, वे अब चूल्हा-चौका वाली छवि को दरकिनार कर परिवार की रक्षा का ज़िम्मा भी उठा रही हैं. भिंड जिले में नीरज अकेली महिला नहीं हैं, जिनके पास आर्म्स लाइसेंस है. हाल ही में 4-5 महिलाओं ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, जो अभी प्रोसेस में हैं. आने वाले दिनों में ये महिलाएं भी बंदूक के साथ दिखेंगी. अब तक 140 महिलाओं ने भिंड जिले में लाइसेंस बनवाए हैं.