भिंड।कोरोना बुलाने में भिंड जिला प्रशासन भी कोई कमी नहीं छोड़ रहा है. हर रोज हजारों की संख्या में अन्य प्रदेशों और जिलों से लोग वापस आ रहे हैं. कई तो हॉटस्पॉट इलाकों से आए हैं भिंड बस स्टैंड पर इन लोगों की भीड़ लगी रहती है न सोशल डिस्टेंसिंग और न सुरक्षा के इंतजाम है. स्क्रीनिंग कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों के पास भी सुरक्षा के लिहाज से सर्जिकल ग्लव्स पीपीई किट और n-95 मास्क तक उपलब्ध नहीं है.
लापरवाही पड़ सकती है भिंड जिले पर भारी इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन ?
दरअसल एक साथ सैकड़ों लोगों की भीड़ दूसरे जिलों और राज्यों से आए मजबूरों की हैं, जिन्हें कोरोना के डर से अपने ठिकाने छोड़ने पड़े, हर कोई लंबा सफर तय करके आया है, और जल्द से जल्द अपने घर जाना चाहता है. लेकिन प्रशासन की व्यवस्था यहां फेल नजर आ रही हैं. ऐसे में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां और व्यवस्थाओं पर सवाल उठने लाजमी हैं. खासकर तब जब भिंड में कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.
पुलिस प्रशासन के दावों की खुली पोल
जब इतनी भीड़ एक जगह पर हो तो सुरक्षा के लिहाज से पुलिस प्रशासन को पुख्ता इंतजाम करने चाहिए लेकिन बस स्टैंड पर कोई भी पुलिसकर्मी नजर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में अगर भीड़ में कोई अनहोनी हो जाए या बेकाबू होकर भीड़ स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला कर दें तो कोई भी सुरक्षाकर्मी स्थिति को संभालने के लिए वहां मौजूद ही नहीं है. लिहाजा इन तस्वीरों से हालातों की गंभीरता साफ देखी जा सकती है.
इस भीड़ को कौन समझाएगा ?
भिंड बस स्टैंड पर 3 खिड़कियां बनाकर बाहर से आने वाले लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही हैं. लेकिन यहां ना तो सोशल डिस्टेंसिंग नजर आ रही है ना ही बताने और समझाने पर भीड़ को समझ आ रहा है. लगातार बढ़ रही इस भीड़ से कोई भी जिम्मेदार सोशल डिस्टेंसिंग का पालन इनसे कराने वाला नहीं है. लिहाजा अगर कोई एक भी कोरोना से पीड़ित मरीज निकलता है वो ना जाने कितनों को ऐसे हालात में संक्रमित करेगा.
डॉक्टरों लिए नहीं है सुरक्षा का इंतजाम
अपनी जान दांव पर लगाकर खतरे के बीच में डटकर खड़े स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बस स्टैंड रेड जोन के बराबर है. किसी भी बाहर से आए शख्स की स्क्रीनिंग करने के लिए यह स्वास्थ्य कर्मी अपनी जान को खतरे में डाल रहे हैं, लेकिन जिला अस्पताल या स्वास्थ्य विभाग की ओर से इन्हें सुरक्षा के नाम पर महज कैप और थ्री लेयर डिस्पोजेबल मास्क दे दिए गए हैं जबकि कई जगह पर स्वास्थ्य कर्मी भी कोरोना के चपेट में आ चुके हैं, ऐसे हालातों में प्रोटोकॉल के मुताबिक इन्हें पीपीई किट N-95 मास्क भी उपलब्ध कराए जाने चाहिए साथ ही सर्जिकल ग्लव्स भी क्योंकि थर्मल स्क्रीनिंग के दौरान यदि कोई संक्रमित व्यक्ति गलती से छींक भी देता है तो स्वास्थ्य कर्मी इनफेक्टेड हो सकता है.
3 दिन से नहीं मिला ग्लव्स
खुद सीएमएचओ अपने आपको सेफ्टी गियर से लैस हो कर चलते हैं लेकिन हजारों अनजानों के बीच कोरोना युद्ध लड़ रहे इन स्वास्थ्य कर्मियों पर किसी का ध्यान नहीं है मौके पर मौजूद एक स्वास्थ्य कर्मी ने बताया कि उन्हें पिछले 3 दिन से ग्लव्स नहीं मिले हैं. हर बार यह कह कर बात टाल दी जाती है कि अभी कमी है काम चलाओ.
बस स्टैंड पर भीड़ लगने का एक बड़ा कारण यह भी है कि जो लोग बाहर से आ रहे हैं वे तपती धूप में खड़े नहीं हो सकते, यदि नगर पालिका ने टेंट लगाकर छांव की और बैठने की व्यवस्था की होती तो शायद हालात कुछ अलग होते लेकिन नपा ने प्राइवेट बस स्टैंड पर करीब 100 वर्ग फीट का एक टेंट लगाकर खानापूर्ति कर दी है जबकि 10 हजार स्क्वायर फीट से ज्यादा की जगह पर बना बस स्टैंड मैदान खुला पड़ा है.