भिंड। 'जल ही जीवन है', यह कथन आपने अक्सर टीवी, समाचार पत्र या दीवारों पर लिखा देखा होगा. लेकिन इस कथन का आपको सही मतलब जानना है तो आपको उन इलाकों में जाना चाहिए जहां पानी की कमी है. ईटीवी भारत ने भिंड जिले के एक ऐसे ही नगर में पानी की समस्या से जूझ रहे लोगों की परेशानी को कवर किया है. इस क्षेत्र में लोग पानी का इंतजाम करने के लिए दिनभर मशक्कत करते रहते है. कई बच्चों की पढ़ाई भी पानी का इंतजाम करने के कारण नहीं हो पाती है. जिले के गोहद इलाके में तो हालात यह है कि गर्मी का मौसम शुरू होते ही लोग पेयजल के लिए तरस जाते हैं. हर साल यह स्थिति मई और जून के महीने में देखने को मिलती है. लेकिन इस बार मार्च का महीना आते ही पूरे गोहद में पानी की किल्लत हो चुकी है. लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं, देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...
- टैंकर आने के बाद भी लोगों को नहीं मिलता पानी
कहने को भिंड जिले में गोहद ऐसा इलाका है जहां एक नहीं बल्कि दो बांध बने हुए हैं. गोहद नगर के रहवासियों को तो पेयजल की व्यवस्था वेसली नदी पर बने डैम से होती है. लेकिन इस बार मार्च का महीना शुरू होते ही पूरा डैम सूख चुका है. जिसका नतीजा यह है कि 15 दिनों से पूरे नगर में पानी की समस्या खड़ी हो गई है. गोहद नगर के लोगों का कहना है कि उनकी पानी की समस्या पर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा. नगरपालिका से भी अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गई. पेयजल के लिए 15 दिन बाद एक टैंकर आता है, तो लोगों की भीड़ जुट जाती है. टेंकर से किसी को एक ड्रम, किसी को एक बाल्टी, तो कोई बिना पानी की एक बूंद लिए खाली हाथ लौट जाता है.
- पानी की समस्या के कारण हो रहा पढ़ाई का नुकसान
रहवासियों का कहना है कि ये हालात पिछले कई सालों से बने हुए हैं. वहीं दसवी कक्षा की एक छात्रा का तो यह भी कहना है कि पिछले कई दिनों से पानी की किल्लत है. पीने के लिए पानी नहीं है. ऐसे में बोर्ड एक्जाम सर पर है. लेकिन यह समझ नहीं आता कि पढ़ाई करें या पानी भरने जाए. इन परिस्थितियों में उनकी पढ़ाई का भी भारी नुकसान हो रहा है. वहीं एक बुज़ुर्ग महिला का कहना है कि नगरपालिका को पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए, लेकिन पानी की समस्या पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.