भिंड। कन्या भ्रूण हत्या के मामले में बदनाम रहे चंबल के भिंड जिले में बेटियों के प्रति अब लोगों की सोच बदल रही है और यह सोच खुद इस जिले की बेटियों ने बदली है. जिन गांव में कभी बेटियों को घर से निकलने की आजादी नहीं थी, वहीं आज भिंड जिले के उन गांव की बेटियां पुलिस और प्रशासन में अपनी सेवाएं देकर पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं और न सिर्फ इन बेटियों ने अपनी जिंदगी में बदलाव लाया है बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनकर समाज और खासकर महिला वर्ग के सशक्तिकरण का काम कर रही हैं. इन्हीं बेटियों में से एक हैं बंथरी गांव की त्रिवेणी राजावत.
बेटियों में है पुलिस की नौकरी का जुनून
कहते हैं शुरुआत से ही भारत पुरुष प्रधान देश रहा है. आज भी कई जगहों पर लोगों को बेटे और बेटी में फर्क करते देखा जा सकता है. कुछ ऐसा ही हाल कभी भिंड जिले में भी हुआ करता था. जहां तंबाकू मुंह में रखकर बेटियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था, लेकिन समय के साथ लोगों की सोच में अब बदलाव देखने को मिल रहा है. आज भिंड के सैकड़ों गांव की बेटियां सरकारी नौकरियां कर रही हैं. जिले के बंथरी गांव की बेटियों में तो पुलिस की नौकरी का अनोखा जुनून है, जहां की दस से ज्यादा बेटियां पुलिस में सेवाएं दे रही हैं. इसकी शुरुआत हुई गांव की पहली बेटी त्रिवेणी राजावत के संकल्प से. त्रिवेणी ने अपने पिता के देहांत के बाद उनकी इच्छा पूरी करने के लिए मेहनत की और आज पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर के पद पर हैं.
त्रिवेणी की मां ने दिए अरमानों को पंख
बंथरी गांव में पहले जहां बेटियों को सिर्फ चूल्हा-चौके तक सीमित कर दिया जाता था, उस गांव की बेटी त्रिवेणी राजावत ने अब पूरे गांव की सोच बदल कर रख दी है. त्रिवेणी बचपन से ही बड़ी होकर पुलिस अफसर बनना चाहती थी. त्रिवेणी के पिता भी यही चाहते थे, लेकिन समय से पहले ही वे चल बसे. लेकिन त्रिवेणी की मां ने उनकी इच्छा और बेटी के अरमानों को पूरा करने के लिए पंख दिए और उनकी पढ़ाई पूरी कराई.