Shani Jayanti 2023:आज 19 मई को शनि जयंती है.ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रह में शनि सूर्या के पुत्र हैं और न्याय के देवता माने जाते हैं. उनकी चाल सबसे धीमी है वे ढाई साल में राशि परिवर्तन करते हैं. जैसा कि बताया जाता है कि न्याय के देवता शनि आपके कर्मों के अनुसार आपका भाग्य तय करते हैं. वे खुश हो या कुंडली में मजबूत स्थिति में हों तो आप जीवन में सफलता का परचम लहरा सकते हैं, और अगर वे रुष्ठ हों या कुंडली में कमजोर स्थिति में हों तो आपके जीवन को कष्टों से भर सकते हैं. बात जब शनि देव के रूठने की आती है तो कुंडली में ढैया या साढ़ेसाती (साढ़े सात साल की समयावधि) लग जाती है. यकीन मानिए ये समय आपके जीवन को दुख और परेशानियों से भर देता है. लेकिन कुछ ऐसी भी परिस्थितियों होती हैं जब कुंडली में शनि की साढ़ेसाती होने के बाद भी इसका दुष्प्रभाव बेअसर या कम होगा है.
इन परिस्थियों में बेअसर होता है साढ़ेसाती का प्रभाव:वैदिक ज्योतिष के अनुसार माना जाता है कि जब भी कुंडली में शनि किसी जातक की कुंडली के तीसरे, छठवें, आठवें एवं बारहवें स्थान में उच्च अवस्था में होते हैं तब शनि उस जातक के जीवन में फलदायी साबित होते हैं, और उसका अच्छा समय शुरू हो जाता है. इस परिस्थिति में शनि की साढ़ेसाती होने के बाद भी इसका दुष्प्रभाव बेअसर हो जाता है.
एक मान्यता यह भी: ज्योतिष की यह भी मान्यता है कि जब चंद्रमा किसी जातक की कुंडली में मजबूत स्थिति हो तब इनके प्रभाव से कुंडली में शनि की साढ़ेसाती का दुष्प्रभाव निष्क्रिय हो जाता है और शनिदेव उस जातक पर अपने आशीर्वाद की वर्षा करते हुए जीवन में शुभ समय और अच्छे परिणाम प्रदान करते हैं.
कुंडली में पहले से हो कोई ग्रह: तीसरी परिस्थिति तब निर्मित होती है जब शनि देव के अलावा पहले से कोई शुभ ग्रह या किसी ग्रह की शुभ दशा पहले से कुंडली में चल रही हो, और शनि की साढ़ेसाती भी शुरू हो जाये. तब शनि की साढ़ेसाती इस कुण्डली के जातक को प्रभावित नहीं करती है. उसके जीवन में किसी कार्य में परेशानियां नहीं आती है और उसे शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है.
तीन राशियों पर नहीं होता साढ़ेसाती का प्रभाव:ज्योतिषविदों की मानें तो शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव तीन राशियों पर भी नहीं होता है. ये राशियां हैं मकर, कुंभ और तुला. चूंकि ये सभी जानते हैं कि मकर और कुंभ ये दोनों हो राशियां शनिदेव की स्वराशियां हैं. यानि इन राशियों के स्वामी खुद शनिदेव हैं. साथ ही तुला शनि की उच्च राशि है, इसलिए इन तीनों ही राशियों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव कभी नहीं पड़ता है.
कुंडली में शनि को मजबूत करने के लिए करें ये उपाय:शनि की स्थिति कुंडली में मजबूत करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में कुछ उपाय बताये गए हैं. ऐसे जातक जिनकी कुंडली में शनि कमजोर स्थिति में हों उन्हें शनिवार के दिन सरसों के तेल का दीया शनिदेव की प्रतिमा के आगे जलाना चाहिए. शनिवार के दिन काली तिल, काली उड़द की दाल, काला कपड़ा, चना जैसी चीजें जरूरतमंदों को दान करना चाहिए. शनिवार के दिन भगवान हनुमान की पूजा अर्चना के साथ हनुमान चालीसा करना और सात्मुखी रुद्राक्ष पहने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं और कुंडली में उनकी स्थिति मजबूत होती है.
Disclaimer:इस लेख में दी गई जानकारी ज्योतिष गणना और ज्योतिषविदों की जानकारी के आधार पर है. ETV Bharat इसके पूर्ण सत्य होने का दावा नहीं करता.