भिंड। "सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा एकात्म मानव दर्शन का पुण्य प्रसाद है, यदि हमें पंडित दीनदयाल के जीवन से सीख लेनी है तो यह मूल मंत्र अपनाना अंतिम होगा. व्यक्ति का विकास ही रास्ट्रोदय और अंत्योदय है." यह बात वरिष्ठ समाजसेवी प्रखर वक्ता वरिष्ठ चिकित्सक डॉ सुशील गुप्ता ने कही. उन्होंने एमजेएस महाविधालय स्थित शहीद भवन सभागार में मप्र जन अभियान परिषद द्वारा पंडित दीनदयाल की जयंती पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता कही. इस अवसर विषय विशेषज्ञ के रूप में वरिष्ठ समाजसेवियों सहित जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक, समस्त मेंटर्स, नवांकुर संस्थाओं के प्रतिनिधि, प्रस्फुटन समितियों के प्रतिनिधि, सीएमसीएलडीपी अंतर्गत बीएसडब्ल्यू एमएसडब्ल्यू के छात्र छात्राएं मौजूद थे. birth anniversary of Pandit Deen Dayal Upadhyay
राष्ट्रहित में उनके व्याख्यानों में मिलती है चार विषयों की सीख:स्थानीय एमजीएस कॉलेज स्तिथ शहीद भवन सभागार में दीप प्रज्वलन उपरांत कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया जिसमें समाजसेवी शैलेश नारायण ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय जी का व्यक्तित्व एक आदर्श व्यक्तित्व था उन्होंने सदैव राष्ट्रहित की बात की मुख्य चार विषय अर्थ धर्म काम मोक्ष पर उनके व्याखानों से जो सीख मिलती हैं वह अवर्णनीय है. ऐसे महान व्यक्तित्व का यदि हम अनुसरण कर सके तो निश्चित तौर पर इस राष्ट्र निर्माण में किसी भी तरह की कभी कोई बाधा नहीं आएगी.
'उनके कार्यों का अनुसरण कर उनका विकास मॉडल अपमान होगा':इसी बात को आगे बढ़ाते हुए सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर बोलते हुए प्राचार्य रामानंद शर्मा ने कहा कि पं दीनदयाल उपाध्याय के कार्यों का यदि हमें अनुसरण करना है तो हमें उनकी विकास के मॉडल को अपनाना होगा उन्होंने अंत्योदय और अंतिम व्यक्ति के विकास की जो बात कही है उसको सच्चे मन से लागू करना होगा तभी उनके सपने को साकार कर सकेंगे.