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विधानसभा उपचुनाव: मेहगांव सीट पर आसान नहीं होगी शिवराज के मंत्री की जीत, देखिए सियासी समीकरण

मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव की तैयारियां शुरु हो गई हैं. भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होना है. ईटीवी भारत '24 का चुनाव चक्र' के जरिए आपको सभी 24 विधानसभा सीटों की जानकारी दे रहा, आज आपको मेहगांव विधानसभा सीट के सियासी समीकरणों की जानकारी दे रहे हैं. पढ़िए पूरी खबर....

mehgaon assembly seat
मेहगांव सीट

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Published : Jul 10, 2020, 2:46 PM IST

भिंड। विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर सूबे में सियासी बिसात बिछ चुकी है. जिन 24 सीटों पर चुनाव होना है उनमें चंबल संभाग के भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा सीट भी शामिल है. कांग्रेस विधायक ओपीएस भदौरिया के इस्तीफे के बाद खाली हुई इस सीट की सियासी जंग रोचक होने वाली है. इसकी सबसे बड़ी वजह जनता में ओपी भदौरिया के खिलाफ रोष है.

मेहगांव सीट पर आसान नहीं होगी शिवराज के मंत्री की जीत

ईटीवी भारत की टीम जब क्षेत्र की जनता का मिजाज जानने पहुंची तो कुछ लोग ओपीएस भदौरिया से खफा तो कुछ उनके कामकाज से संतुष्ट नजर आए. लोगों का आरोप है कि क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. किसी भी जनप्रतिनिधि ने मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं किया. यही वजह है कि लोग अब ऐसा विधायक चाहते हैं जो उनकी समस्याओं को हल करे और क्षेत्र का विकास करे.

मेहगांव विधानसभा सीट का सियासी इतिहास दिलचस्प रहा है, यहां की जनता किसी एक राजनीतिक दल पर भरोसा नहीं करती. यही वजह है कि मेहगांव में बीजेपी-कांग्रेस और बसपा से लेकर निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी जीत दर्ज की है. यानि किसी एक राजनीतिक दल का मेहगांव विधानसभा सीट पर कभी दबदबा नहीं रहा. मेहगांव विधानसभा सीट पर अब तक कुल 10 विधानसभा चुनाव हुए हैं. जिनमें तीन-तीन बार बीजेपी और कांग्रेस को जीत मिली है, तो तीन बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया है. जबकि एक बार बसपा ने भी यहां से जीत दर्ज की है.

मेहगांव सीट

मेहगांव विधानसभा सीट के सियासी समीकरण

  • मेहगांव में जातिगत समीकरण सबसे अहम भूमिका निभाते हैं
  • यहां ठाकुर और ब्राह्राण मतदाता निर्णायक भूमिका में होते हैं
  • ओबीसी और एससी वर्ग के मतदाताओं का भी अच्छा खासा दखल रहता है
  • मेहगांव विधानसभा में करीब 56 हजार ब्राह्मण वोट हैं
  • क्षत्रिय 46 हजार वोटों के साथ दूसरा सबसे प्रभावी वोटर है
  • ओबीसी और एससी वोटर भी प्रभावी भूमिका में नजर आते हैं

ओपीएस भदौरिया की परेशानी

इस बार जनता के मूड को भांपा जाए तो वोट चेहरों पर नहीं, बल्कि विकास पर गिरेगा. कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में गए ओपीएस भदौरिया पर लगे रेतखनन और जातिवाद के आरोप उनके लिए मुसीबत बन सकते हैं, क्योंकि इसको लेकर लोगों में रोष है, हालांकि ओपीएस भदौरिया इस तरह के आरोपों को नकार रहे हैं और चुनाव में जीत का दावा कर रहे हैं.

कांग्रेस के सामने ये चुनौती

कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में गए ओपीएस भदौरिया को शिवराज मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री बना दिया गया है. ऐसे में कांग्रेस के लिए ओपीएस भदौरिया के सामने दमदार प्रत्याशी खड़ा करने की चुनौती है. हालांकि कांग्रेस के पास 40 से ज्यादा लोग टिकट की दावेदारी पेश कर चुके हैं, लेकिन माना जा रहा है कि राकेश सिंह चतुर्वेदी या फिर हेमन्त कटारे पर पार्टी दांव लगा सकती है. कांग्रेस का मानना है कि उपचुनाव में ओपीएस भदौरिया की हार होगी और कांग्रेस का प्रत्याशी विधानसभा पहुंचेगा.

मेहगांव सीट पर होगा सियासी घमासान

मौजूदा हालातों को देखा जाए तो मेहगांव सीट पर इस बार सियासी घमासान होने वाला है, क्योंकि ओपीएस भदौरिया को राज्यमंत्री बनाये जाने से बीजेपी को चुनाव में फायदा होना तय है, जबकि कांग्रेस को वजनदार प्रत्याशी की तलाश परेशान कर रही है. इन सबके बीच बसपा भी पूरे दम-खम के साथ मैदान में उतरेगी. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि मेहगांव की जनता किस पर विश्वास करती और किसे नकारती है.

पिछले चुनाव में ओपीएस भदोरिया ने दर्ज की थी जीत

2018 के विधानसभा चुनाव में मेहगांव विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी ओपीएस भदोरिया ने बीजेपी के राकेश शुक्ला को हराकर जीत दर्ज की थी. ओपीएस भदोरिया को 61 हजार 500 वोट मिले थे. जबकि बीजेपी के राकेश शुक्ला को 35 हजार 746 वोट मिले थे. जीत का अंतर 25 हजार 814 रहा था.

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